Tag: विजय बहादुर सिंह

दिसंबर 2008

शब्द-यात्रा ‘कुर्बान’ से बलिदान तक आनंद गहलोत पहली सीढ़ी  एक अकेली एक चेतना हरीश भादानी आवरण-कथा अंधे-अंधेरे समय में नैतिक प्रतिज्ञाओं को बचाना है नंद चतुर्वेदी सज्जनों का मौन गज्यादा खतरनाक है न्यायमूर्ति चंद्रशेखर धर्माधिकारी उन्मादी नहीं जानते वे क्या कर…

दिसम्बर 2014

बीतते वर्ष में बहुत कुछ ऐसा हुआ होता है जो पीड़ा देता है, उसे याद करके दुखी होना स्वाभाविक है. लेकिन दुखी होना मात्र तो पीड़ा से नहीं उबारेगा. ज़रूरी है हम उस दुख से उबरें जो अनचाहे अथवा अप्रिय…