Tag: राजकिशोर

सितम्बर 2008

शब्द-यात्रा बयान, बयां और अंदाज़े-बयां आनंद गहलोत  पहली सीढ़ी  उठो, जन्म लो मेरे साथ बंधु! पाब्लो नेरूदा आवरण-कथा प्रश्न पहचान का सवाल सारी भारतीय भाषाओं का है अच्युतानंद मिश्र एक नयी हिंदी जन्म ले रही है रामशरण जोशी भाषा आंदोलन छेड़ने…

अक्टूबर 2014

उजाले के प्रति आस्था और विश्वास का यह स्वर वस्तुतः जीवन के प्रति उस लगाव की प्रतिध्वनि है, जो सांसों को परिभाषित भी करता है, और परिमार्जित भी. रात जब बहुत लम्बी हो जाती है तो भोर के उजाले के…

जनवरी 2010

महाकवि जयशंकर प्रसाद की कविता थी- ‘छोटे-से जीवन की कैसे बड़ी कथाएं आज कहूं/ क्या यह अच्छा नहीं कि औरों की सुनता मैं मौन रहूं’. यूं तो लेखक की हर रचना में कहीं न कहीं अपनी बात होती ही है…

मई 2014

‘भारत मेरा देश है, इस देश में रहने वाले सब मेरे भाई-बहन हैं…‘ यह शब्द उस ‘प्रतिज्ञा’ का अंश हैं जो महाराष्ट्र के स्कूलों में पढ़ाई जाने वाली पाठ्य-पुस्तकों में छापी जाती है और विद्यार्थी रोज़ इसका सामूहिक वाचन भी…