Tag: रवींद्रनाथ ठाकुर

अगस्त 2008

शब्द-यात्रा ‘ऊपर’ और ‘अंतर’ में अंतर आनंद गहलोत पहली सीढ़ी  हे प्रभु! रवींद्रनाथ ठाकुर आवरण-कथा आओ, आकाश को ऊंचा करें हमारे आसपास दिखनेवाली ऊंचाइयां सूर्यबाला जंगल की आग बुझानी है… ए.पी.जे. अब्दुल कलाम शब्द ही आकाश को ऊंचा उठाते हैं…

मई 2008

शब्द-यात्रा तपिश दिल की बुझा लेना आनंद गहलोत पहली सीढ़ी  चल अकेला रे… रवींद्रनाथ ठाकुर आवरण-कथा आगे बढ़ना है तो चलना ही पड़ेगा डॉ. कन्हैयालाल नंदन सभ्यता में पहिया अनूप सेठी साइकिल-चिंतन विजय कुमार तब जीवन का छंद कविता बनता…

मई 2012

निस्संदेह विकास के ढेर सारे टापू विकसित किये हैं हमने, लेकिन हमारे गांव कुल मिलाकर अभी इस विकास की परिधि पर ही हैं. दुर्भाग्य तो यह भी है कि हमारी ग्राम-सभ्यता और ग्राम-संस्कृति भी इस दौरान लगातार क्षरित हुई है,…

मई 2010

भारतीय संस्कृति के प्रतीक पुरुषों में एक नाम रवींद्रनाथ ठाकुर का है. भले ही उन्हें दुनिया ‘गीतांजलि’ के गायक के रूप में ही पहचानती हो, लेकिन उनकी कविताओं का यह संग्रह उनका पूरा परिचय नहीं है. पचास से अधिक कहानी…

अगस्त 2012

आज़ादी की लड़ाई के दौरान भारतमाता की जय का नारा लगाने वाले युवाओं से जवाहरलाल नेहरू ने एक बार पूछा था, यह भारतमाता है क्या? फिर स्वयं ही इसका उत्तर भी दिया था उन्होंने- इस देश की करोड़ों-करोड़ें जनता ही…