Tag: यशपाल

आदमी का बच्चा

बचपन गाथा ♦  यशपाल   >     दोपहर तक डौली कान्वेंट (अंग्रेज़ी स्कूल) में रहती है. इसके बाद उसका समय प्रायः पाया ‘बिंदी’ के साथ कटता है. मामा दोपहर में लंच के लिए साहब की प्रतीक्षा करती है. साहब जल्दी…

जनवरी 2014

रंग चाहे तितली के हों या फूलों के, जीवन में विश्वास के रंग को ही गाढ़ा करते हैं. पर कितना फीका हो गया है हमारे विश्वास का रंग? पता नहीं कहां से घुल गया है यह मौसम हवा में कि…

फरवरी 2012

  शब्द-यात्रा पुण्य क्षीण हो गया ‘अभियुक्त’ का आनंद गहलोत पहली सीढ़ी मोमबत्ती सी. रवींद्रनाथ आवरण-कथा सम्पादकीय हम स्वयं अपने साहित्य की चुनौती हैं ! रमेश दवे संकट एक अनकही भीतरी निष्ठा से कटने का है मृणाल पांडे ऐसे में…