बड़ों का बचपन ♦ कृष्णा सोबती > बहुत पीछे लौट रही हूं. अपने बचपन की ओर. जाने कितने मोड़ उलांघ आयी हूं. हर मोड़ का एक रंग. आंखों के आगे बेशुमार रंग झिलमिला रहे हैं. ऐसा देख सकने के लिए जाने…
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नहीं मां, मैं अभी नहीं सोऊंगा
बड़ों का बचपन ♦ लियो टॉल्स्टॉय > बचपन के सुख दिन, जो कभी नहीं लौटेंगे! क्या कभी कोई उसकी स्मृतियां भुला सकता है? उसके बारे में सोचते ही मेरा मन आज भी उल्लसित हो उठता है, आत्मा में एक नूतन…
फर्श पर बनाया था पिताजी का चित्र
बड़ों का बचपन ♦ आर. के. लक्ष्मण > मुझे याद नहीं पड़ता कि ड्राइंग के अलावा और कुछ करना चाहा था मैंने. बच्चा था तब भी, फिर कुछ बड़ा होने पर भी, कॉलेज में पढ़ने वाले युवा के रूप…
ज़िद मैंने पिता से सीखी थी
बड़ों का बचपन ♦ नेल्सन मण्डेला > मेरे जन्म के समय पिता ने एक ही चीज़ दी थी मुझे-मेरा नाम. रोलिहलहला. वैसे तो इसका मतलब होता है- ‘पेड़ की शाखा को खींचना’ पर समाज में इसकाप्रचलित अर्थ है गड़बड़ी…
पिता ने अहिंसा का साक्षात पाठ पढ़ाया
बड़ों का बचपन ♦ महात्मा गांधी > मेरे एक रिश्तेदार के साथ मुझे बीड़ी-सिगरेट पीने का चस्का लगा. हमारे पास पैसे तो होते नहीं थे. हम दोनों में से किसी को यह पता नहीं था कि सिगरेट पीने से कोई फायदा…