Tag: प्रेमचंद

गुल्ली डंडा

बचपन गाथा  ♦  प्रेमचंद   >    हमारे अंग्रेज़ी दोस्त मानें या न मानें मैं तो यही कहूंगा कि गुल्ली-डंडा सब खेलों का राजा है. अब भी कभी लड़कों को गुल्ली-डंडा खेलते देखता हूं, तो जी लोट-पोट हो जाता है कि इनके…

नवम्बर 2008

शब्द-यात्रा भाषा में आतंक आनंद गहलोत पहली सीढ़ी  ओ सूरज! स्वामी संवित् सोमगिरि आवरण-कथा कब अपने कहलायेंगे अपनी बस्ती के बच्चे रमेश थानवी मासूम बचपन पर कुपोषण की मार भुवेंद्र त्यागी बच्चों को छोटे हाथों से चांद -सितारे छूने दो सरोज…

दिसम्बर 2010

इतिहास अर्थात जो हुआ था, वह. लेकिन जो हुआ था का नाम ही इतिहास नहीं है. इसी तरह इतिहास को समझने का मतलब अतीत को समझना मात्र ही नहीं होता. सच पूछा जाए तो इतिहास की समझ हमें वर्तमान को…

जनवरी 2014

रंग चाहे तितली के हों या फूलों के, जीवन में विश्वास के रंग को ही गाढ़ा करते हैं. पर कितना फीका हो गया है हमारे विश्वास का रंग? पता नहीं कहां से घुल गया है यह मौसम हवा में कि…