♦ प्रभु जोशी > बीसवीं सदी के उत्तरार्ध में उसके पतन की पटकथा शुरू हो गयी थी और अंतिम दशक तक पहुंचते-पहुंचते तो उसके तमाम शिखर भग्नावेश में बदल गये. क्योंकि, जिन ‘विचारों’ की ऊंचाइयां आकाश नापने लगी थीं,…
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नवम्बर 2008
शब्द-यात्रा भाषा में आतंक आनंद गहलोत पहली सीढ़ी ओ सूरज! स्वामी संवित् सोमगिरि आवरण-कथा कब अपने कहलायेंगे अपनी बस्ती के बच्चे रमेश थानवी मासूम बचपन पर कुपोषण की मार भुवेंद्र त्यागी बच्चों को छोटे हाथों से चांद -सितारे छूने दो सरोज…
मार्च 2008
शब्द-यात्रा घड़ी-घड़ी मेरा दिल धड़के आनंद गहलोत पहली सीढ़ी मर-मर क्या जीना हरीश भादानी आवरण-कथा व्यंग्य के साथ भी हंसी आती है, पर वह ऐसी नहीं होती हरिशंकर परसाई मगर इंसान हंसता क्यों है? कृश्न चंदर मेरा व्यंग्य सवालों के जवाब…
जनवरी 2011
इस बार हम आपके लिए हिंदी की उन कथाओं का गुलदस्ता लेकर उपस्थित हैं, जिन्होंने स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद के काल में हमारे कथा-साहित्य के बगीचे को महकाया है. ‘नवनीत’ का यह विशेषांक ऐसी ग्यारह कहानियों का संकलन है, जिन्होंने हमारे…