Tag: प्रकृति

बचपन रखो जेब में

♦ विश्वनाथ सचदेव   >    टी.वी. हमेशा की तरह चल रहा था. मैं देख भी रहा था, नहीं भी देख रहा था. सुन भी रहा था, नहीं भी सुन रहा था. अचानक एक वाक्यांश कानों से टकराया. लगा जैसे वह कानों…

फरवरी  2010

शब्द-यात्रा रंग में रंगा रंग आनंद गहलोत पहली सीढ़ी सखि, बसंत आया निराला आवरण-कथा सम्पादकीय ताकि जीवन में बसंत आये नर्मदा प्रसाद उपाध्याय प्रकृति के अध्यात्म का उत्सव है बसंत रमेश दवे चैत चित्त, मन महुआ नीरजा माधव बखौफ होकर…

अगस्त 2012

आज़ादी की लड़ाई के दौरान भारतमाता की जय का नारा लगाने वाले युवाओं से जवाहरलाल नेहरू ने एक बार पूछा था, यह भारतमाता है क्या? फिर स्वयं ही इसका उत्तर भी दिया था उन्होंने- इस देश की करोड़ों-करोड़ें जनता ही…