Tag: नरेश सक्सेना

तीन कविताएं

     ♦  नरेश सक्सेना   >    मढ़ी प्राइमरी स्कूल के बच्चे उनमें आदमियों का नहीं एक जंगल का बचपन है जंगल जो हरियाली से काट दिये गये हैं और अब सिर्फ़ आग ही हो सकते हैं नहीं बच्चे फूल…

जनवरी 2014

रंग चाहे तितली के हों या फूलों के, जीवन में विश्वास के रंग को ही गाढ़ा करते हैं. पर कितना फीका हो गया है हमारे विश्वास का रंग? पता नहीं कहां से घुल गया है यह मौसम हवा में कि…

जनवरी 2012

स्वर्गीय श्रीगोपाल नेवटिया ने जनवरी 1952 में हिंदी का यह डाइजेस्ट देश को समर्पित किया था. उन्होंने पत्रिका के पहले सम्पादकीय में लिखा था- “नवनीत ज्ञान-विज्ञान और उनके सत्साहित्य की चुनी हुई जलधाराओं के अंशों को अपने घट में भरेगा……