Tag: दो कविताएं

नवम्बर 2008

शब्द-यात्रा भाषा में आतंक आनंद गहलोत पहली सीढ़ी  ओ सूरज! स्वामी संवित् सोमगिरि आवरण-कथा कब अपने कहलायेंगे अपनी बस्ती के बच्चे रमेश थानवी मासूम बचपन पर कुपोषण की मार भुवेंद्र त्यागी बच्चों को छोटे हाथों से चांद -सितारे छूने दो सरोज…

मार्च 2014

  जब हम कोई व्यंग्य पढ़ते हैं या सुनते हैं तो अनायास चेहरे पर मुस्कान आ जाती है. हो सकता है इसीलिए व्यंग्य को हास्य से जोड़ दिया गया हो, और इसीलिए यह मान लिया गया हो कि व्यंग्य हास्य…