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जंगल में रब्बर शेर

♦  जवाहर चौधरी    > उसने पहले मार्क्स को पढ़ा, इसके बाद गांधी को भी. एक प्रबुद्ध शेर को बाज़ार के जंगल में भूखों मरने के लिए इतना काफी था. धीरे-धीरे उसका वजन घटने लगा, घटना ही था, गिरे पड़े फल…

मार्च 2014

  जब हम कोई व्यंग्य पढ़ते हैं या सुनते हैं तो अनायास चेहरे पर मुस्कान आ जाती है. हो सकता है इसीलिए व्यंग्य को हास्य से जोड़ दिया गया हो, और इसीलिए यह मान लिया गया हो कि व्यंग्य हास्य…