Tag: रमेश दवे

अक्टूबर 2008

शब्द-यात्रा पंडित, मुल्ला और पादरी आनंद गहलोत पहली सीढ़ी  आगामी कल मेरा है कार्ल सैंडबर्ग आवरण-कथा सम्पादकीय …लेकिन प्रकाश अस्त न हो रमेश दवे जब मिलेगी रोशनी, मुझसे मिलेगी कन्हैयालाल नंदन आत्मा की मातृभाषा परिचय दास मेरी पहली कहानी दहशत…

दिसम्बर 2014

बीतते वर्ष में बहुत कुछ ऐसा हुआ होता है जो पीड़ा देता है, उसे याद करके दुखी होना स्वाभाविक है. लेकिन दुखी होना मात्र तो पीड़ा से नहीं उबारेगा. ज़रूरी है हम उस दुख से उबरें जो अनचाहे अथवा अप्रिय…

अगस्त 2014

भारत का एक भूगोल है को भारत एक भूगोल है भी कहा जा सकता है और इसी तरह कहा यह भी जा सकता है कि भारत एक इतिहास है. पर भारत को परिभाषित करने की यह बात यहीं खत्म नहीं…

फरवरी  2010

शब्द-यात्रा रंग में रंगा रंग आनंद गहलोत पहली सीढ़ी सखि, बसंत आया निराला आवरण-कथा सम्पादकीय ताकि जीवन में बसंत आये नर्मदा प्रसाद उपाध्याय प्रकृति के अध्यात्म का उत्सव है बसंत रमेश दवे चैत चित्त, मन महुआ नीरजा माधव बखौफ होकर…

जून 2012

कहते हैं कि ‘गंगा’ शब्द का एक अर्थ ‘नदी’ भी होता है. मतलब यह कि सारी नदियां गंगा हैं – जीवनदायनी हैं, जीवन-रक्षक हैं. जब हम गंगा को बचाने की बात करते हैं तो वस्तुतः हम सब नदियों को बचाकर…