Category: स्तंभ

व्यवस्था के गटर में मारे जाने वाले  –   प्रियदर्शन

आवरण-कथा क्या आपको अंदाज़ा है कि इस देश में हर साल नाले में उतर कर सफाई करने के दौरान कितने लोगों की मौत हो जाती है? 2007 में ‘तहलका’ पत्रिका ने अलग-अलग स्रोतों से जुटाई सूचनाओं के आधार पर अनुमान…

उड़ान भरती आकांक्षाओं का सच – रामशरण जोशी

आवरण-कथा हैदराबाद के केंद्रीय विश्व-विद्यालय के दलित छात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या से उत्पन्न राष्ट्रव्यापी प्रतिरोध के क्षणों में 43 बरस पुरानी याद मन-मस्तिष्क पर दस्तक दे रही है. यह याद 1973 के दलित पैंथर आंदोलन से जुड़ी हुई है.…

राजाजी और मुनशी (अध्यक्षीय) अप्रैल 2016

तीस के दशक के प्रारम्भ में गांधीजी के नेतृत्व में चलाये जानेवाले स्वतंत्रता संग्राम से मुनशी जी गहरे जुड़े थे. उस समय एक निष्ठावान समर्थक के रूप में उनको स्वीकार किया जा चुका था और वे आंदोलन के अग्रणी की…

कर्मयोग का संदेश (कुलपति उवाच) अप्रैल 2016

बांल गंगाधर तिलक ने वाणी और आचार द्वारा कर्मयोग सिखाया. उन्होंने जाति-व्यवस्था से लड़ाई नहीं ठानी. उनका यह मत था कि जाति-व्यवस्था राजनीतिक दासता  का परिणाम है, और यदि राजनीतिक दासता नष्ट हो जायेगी तो जाति-व्यवस्था, चातुर्वर्ण्य के मूल उद्देश्य…

शरणम् (भाग– 2)  नरेंद्र कोहली

धारावाहिक उपन्यास – 2 गीता एक धर्म-ग्रंथ है और जीवन-ग्रंथ भी. जीवन के न जाने कितने रहस्यों की परतें खोलने वाला ग्रंथ बताया गया है इसे. पर गीता का कथ्य किसी उपन्यास का कथ्य भी बन सकता है, यह कल्पना…