सत्य सामुदायिक नहीं, व्यक्तिगत वस्तु है. यह सत्य सिखाने से नहीं सीखा जा सकता. जीवन में इसका अनुशीलन प्रत्येक व्यक्ति को अपने लिए करना चाहिए. मनुष्य को योगी बनना हो तो एकांत-प्रिय बनना चाहिए. पग-पग पर उसे यह जानकर घबराहट…
सत्य का अर्थ सर्वदा एक ही मत रखना नहीं है. ज्यों-ज्यों दृष्टि-बिंदु विशाल बनता है, सत्य बदलता रहता है. ऐसे समय एक ही अभिमत को पकड़े रहना, असत्य बन जाता है. सर्वदा एक ही मत बनाये रखना कोई सद्गुण नहीं…