(अपने उपन्यास ‘देजर्तो देई तार्तारे’ से प्रसिद्धि पाने वाले इटालियन लेखक दिनो बुज्जाती की कृतियों में अतिसामान्य और अद्भुत का, हल्के-फुल्के हास्य और गहन वेदना का विलक्षण संगम है. उनकी सशक्त-सादी शैली में व्यग्रता और चिंता की अंतर्धारा है, जो…
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चिराग तले
मैंने बहुत ज़्यादा थक कर किताबों पर से नज़रें उठायां. अपनी जलती आंखों को दोनों हाथों से धीरे-धीरे मलकर एक जोरदार जम्हाई ली. उफ! इस पढ़ाई, इस परीक्षा से कितनी थक चुकी हूं. हर वर्ष परीक्षा देते-देते थक गयी हूं,…
होना कुछ नहीं का
बोर्ड लगा है. खादी भंडार. आयताकार काउंटर, लम्बे, पीछे आलमारियों में खादी के थान. हल्के रंगों में मोटे कपड़े. कोसा, साड़ियां, खादी, रेशम और कुछ रेडिमेड कपड़े. आलमारी पर यहां-वहां धूल, बाहर कभी-कभी अंधड़-सा चल जाता है. अभी सुबह के…
रसों का रोमांस
वे नौ थे. सबके सब रसीले. खट्टे, मीठे, चटपटे. जी हां, वे नवरस थे. सबके गुण अलग. स्वभाव अलग. चरित्र अलग. लेकिन पक्के दोस्त. जब भी मूड में आते और साथ मिल जाते, तो साहित्य का स्तर ऊपर उठा देते.…
इन दिनों
इन दिनों बेहद ज़रूरी है बचाये रखना कुछ शब्दों को बड़े जतन से जैसे बचायी जाती है खड़ी फसल जंगली जानवरों से हांका लगाकर. जैसे बचाये जाते हैं दाल और मसाले सीलन और घुन से चटख धूप की चादर…