बड़ों का बचपन ♦ नेल्सन मण्डेला > मेरे जन्म के समय पिता ने एक ही चीज़ दी थी मुझे-मेरा नाम. रोलिहलहला. वैसे तो इसका मतलब होता है- ‘पेड़ की शाखा को खींचना’ पर समाज में इसकाप्रचलित अर्थ है गड़बड़ी…
Category: संस्मरण
पिता ने अहिंसा का साक्षात पाठ पढ़ाया
बड़ों का बचपन ♦ महात्मा गांधी > मेरे एक रिश्तेदार के साथ मुझे बीड़ी-सिगरेट पीने का चस्का लगा. हमारे पास पैसे तो होते नहीं थे. हम दोनों में से किसी को यह पता नहीं था कि सिगरेट पीने से कोई फायदा…
ज़रा यूं समझें बचपन को
♦ मस्तराम कपूर > एक बार चिल्ड्रेंस बुक ट्रस्ट के संस्थापक शंकर पिल्लै से मिलने और उनसे बालसाहित्य पर बातचीत करने का अवसर मिला था. उन दिनों में बाल साहित्य पर अनुसंधान कर रहा था. चूंकि बाल साहित्य से…
कवि-कटाक्ष
कवि इकबाल लहौर में अनारकली में रहते थे. वहां उन दिनों वेश्याओं के कोठे भी थे. फिर म्युनिसिपैलिटी ने वे कोठे वहां से हटवा दिये. इसके बाद की बात है. इकबाल के पुराने मुलाकाती मौलवी इंशा अल्लाह…
निर्भयता का पाठ
♦ डॉ. प्रभाकर माचवे बचपन की सबसे ‘तीव्र याद’ पानी में डूबने की और मां द्वारा बचाये जाने की है. शायद पांच बरस का था मैं. तब हम रतलाम में रहते थे, जहां त्रिवेणी नाम का…