Category: लघुकथाएं

पाप बहुत बढ़ गया है

⇐  कृष्णकांत चरला  ⇒ सन 1899 में कलकत्ते में भयंकर प्लेग फैला हुआ था. शायद ही कोई ऐसा घर बचा था, जिसमें रोग का प्रवेश न हुआ हो. स्वामी विवेकानंद, उनके कई शिष्य तथा गुरुभाई स्वयं रोगियों की सेवा-शुश्रूषा करते रहे,…

आनंद दो!

एक सूफी फकीर की ख्याति सुनकर एक व्यक्ति ज्ञान-प्राप्ति के लिए उसके पास पहुंचा. वहां उसने देखा कि एक हाथ में टोकरी उठाये संत दूसरे हाथ में पक्षियों को दाना चुगाने में व्यस्त थे. वह मजे से चुगा रहे थे,…