♦ रेनू सैनी > एक यहूदी फकीर रेत पर चला जा रहा था. जब वह काफी आगे तक चला आया तो सहसा उसकी नज़र पीछे की ओर चली गयी. उसने पीछे मुड़कर देखा तो यह देखकर हैरान रह…
Category: लघुकथाएं
संसाधन समाज के हैं
♦ मनसुख > जर्मनी दुनिया का जाना-माना औद्योगिक देश है, जहां दुनिया की बड़ी-बड़ी कारें बनती हैं. इस देश के एक छोटे-से कस्बे में न्यूक्लियर रीएक्टर पंप बनते हैं. कोई भी सोच सकता है कि ऐसे देश के लोग…
शांतिप्रिय नेवला
♦ जेम्स थर्बर सांपों के देश में एक ऐसा नेवला पैदा हो गया, जो सांपों से ही क्या, किसी भी जानवर से लड़ना नहीं चाहता था. सारे नेवलों में यह बात फैल गयी. वे कहने लगे, अगर वह…
तू कौन और मैं कौन?
♦ देवराज शर्मा ब्रह्माजी के ऋभु नामक पुत्र थे. वे बचपन से ही परमार्थ तत्त्व का ज्ञाता थे. महर्षि पुलस्त्य का पुत्र निदाघ उनका शिष्य था. प्राचीन काल में महर्षि ऋभु निदाघ को उपदेश देने के…
चिरागों की दुकान
♦ प्रभाकर गुप्त सत्रहवीं सदी के सूफी संत शेख-पीर सत्तार जिनकी दरगाह मेरठ में है, एक किस्सा सुनाया करते थे. एक रात किसी सूनी गली में दो राहगीर मिले. उनमें परस्पर यह वार्त्तालाप हुआ- …