Category: पत्र

‘दुनिया ही उलट-पुलट गयी है’

पत्र-साहित्य    – ऐन फ्रैंक ऐन फ्रैंक की डायरी दुनिया भर में सबसे ज़्यादा पढ़ी जाने वाली किताबों में गिनी जाती है. यह एक लड़की की डायरी न होकर दूसरे विश्व युद्ध में नाजियों द्वारा यहूदियों पर ढाये गये जुल्मों का…

पांच हज़ार पप्पियों वाला हेलन केलर का पत्र

( हेलन केलर के खत मायने रखते हैं. इसलिए नहीं कि वे उसकी जिंदगी की कहानी को आगे बढ़ाते हैं बल्कि इसलिए भी कि ये उसके विचारों और अभिव्यक्ति के विकास की कहानी कहते हैं- और यह विकास ऐसा है…

‘मुझे इसी पथ पर चलते रहना है’

(विंसेन्ट वान गॉग का पत्र भाई के नाम) महान चित्रकार विंसेन्ट वान गॉग का यह पत्र जीवन, प्रेम और कला के प्रति उनकी गहरी अंतर्दृष्टि का परिचय देता है. जुलाई, 1880 प्रिय थियो, तुम्हें अरसे से कुछ लिख नहीं पाया,…

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पक्ष में

गुजराती के शीर्ष रचनाकार तथा स्वतंत्रता-संग्राम के अग्रणी सिपाही कनैयालाल मुनशी गांधीजी के अनुयायी तो थे पर उनसे असहमति के अपने अधिकार को उन्होंने हमेशा सुरक्षित रखा. उनके लिखे नाटक ‘ब्रह्मचर्याश्रम’ पर जब गांधीजी ने अप्रसन्नता व्यक्त की तो मुनशीजी…

हिटलर के नाम गांधी के पत्र

गांधी जी संवाद पूरा करने में विश्वास रखते थे. मन में कोई ग्लानि हो, किसी से शिकायत हो, अपनी बात किसी तक पहुंचाने की ज़रूरत हो या प्रायश्चित ही करना हो, वे जब तक सामने वाले तक अपनी बात न…