Category: धरोहर

मृत्यु का तर्पण

♦  काका कालेलकर    > सब कोई कहेंगे कि मरण सर्वथा अनिष्ट है. लेकिन क्या यह आवाज़ सही है? मनुष्य कोअपना और अपने आत्मीयों का मरण भले ही अनिष्ट मालूम होता हो, लेकिन उसे दूसरे लोगों के मरने पर विशेष…

एक पत्र ज्योतिर्मय

 जो अपने गुरूभाइयों के नाम स्वामी विवेकानंद ने 1894 ई.में लिखा था. प्रिय भ्रातृवृंद,     इसके पहले मैंने तुम लोगों को एक पत्र लिखा है, किंतु समयाभाव से वह बहुत ही अधुरा रहा. राखाल एवं हरि ने लखनऊ से एक…