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suraj prakash – नवनीत हिंदी https://www.navneethindi.com समय... साहित्य... संस्कृति... Tue, 21 Apr 2015 11:02:18 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8 https://www.navneethindi.com/wp-content/uploads/2022/05/cropped-navneet-logo1-32x32.png suraj prakash – नवनीत हिंदी https://www.navneethindi.com 32 32 स्नोबाल की खुराफातें https://www.navneethindi.com/?p=1742 https://www.navneethindi.com/?p=1742#respond Tue, 21 Apr 2015 11:02:09 +0000 http://www.navneethindi.com/?p=1742 Read more →

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♦  जॉर्ज ऑरवेल   > 

कडाके की सर्दियां पड़ीं. तूफानी मौसम अपने साथ ओले और हिमपात लेकर आया. उसके बाद जो कड़ा पाला पड़ा, वह फरवरी तक बना रहा. पशु पवनचक्की को फिर से बनाने में अपनी तरफ से जी जान से जुटे रहे. उन्हें अच्छी तरह पता था कि बाहरी दुनिया की आंखें उन पर लगी हुई हैं और अगर चक्की वक्त पर पूरी न हुई तो डाह से भरे आदमी लोग खुशियों के मारे झूम उठेंगे.

जलन के मारे, आदमी लोगों ने जतलाया कि उन्हें विश्वास नहीं है कि स्नोबॉल ने पवनचक्की को नष्ट किया है. उनका कहना था कि यह तो दीवारें इतनी पतली होने के कारण भरभरा कर गिर पड़ीं. पशु जानते थे कि ऐसा नहीं है, इसके बावजूद यह तय किया गया कि पहले की अट्ठारह इंच मोटी दीवारों की तुलना में इस बार दीवारों की मोटाई तीन फुट रखी जाए  जिसका मतलब था पत्थरों को और अधिक मात्रा में इकट्ठा करना. अरसे तक खदान बर्फ की परतों से भरी रही और कुछ भी नहीं किया जा सका. उसके बाद आये सूखे पाले वाले मौसम में थोड़ी-बहुत तरक्की हुई, लेकिन यह बहुत ही निर्मम काम था, और पशु इसको लेकर पहले की तरह खुद को उतना आश्वस्त नहीं पा रहे थे. उन्हें हमेशा जाड़ा लगता रहता और वे अक्सर भूखे भी होते. सिर्फ बॉक्सर और क्लोवर ने कभी हिम्मत नहीं हारी. स्क्वीलर काम के सुख और श्रम की गरिमा के बारे में शानदार भाषणबाजी करता, लेकिन दूसरे पशु बॉक्सर की ताकत और उसकी कभी न थकने वाली, ‘मैं और अधिक परिश्रम करूंगा’ की पुकार से ज्यादा प्रेरणा पाते.

जनवरी में अनाज की तंगी हो गयी. मकई के राशन में कड़ी कमी कर दी गयी. यह घोषणा की गयी कि इसके बदले आलू की अतिरिक्त खुराक दी जाएगी. तब यह पाया गया कि आलू की फसल का एक बहुत बड़ा हिस्सा, अच्छी तरह से ढककर न रखने के कारण ढेरियों में ही पाले की वजह से सड़ गया है. आलू एकदम नरम और बदरंग हो गये थे. बहुत कम आलू ही खाने लायक रह गये थे. लगातार कई-कई दिन तक पशुओं को चोकर और चुंदर के अलावा खाने को कुछ भी नहीं मिला. भुखमरी के लक्षण उनके चेहरों पर नज़र आने लगे थे.

इस खबर को बाहरी दुनिया से छुपाये रखना निहायत जरूरी हो गया. पवनचक्की के ढहने से निडर होकर आदमी लोग बाड़े के बारे में अब नये-नये झूठ गढ़ रहे थे. एक बार फिर यह खबर प्रचारित की जा रही थी कि सभी पशु भुखमरी और बीमारियों से जूझ रहे हैं, और वे लगातार आपस में लड़ कर मर रहे हैं. वे एक-दूसरे को मार कर खा रहे हैं. बाल-हत्याएं कर रहे हैं. नेपोलियन अच्छी तरह जानता था कि अगर खाद्यान्न की स्थिति की सच्ची खबरें पता चल जाएं तो बहुत खराब परिणाम हो सकते हैं. उसने विपरीत असर फैलाने के लिए मिस्टर व्हिम्पर का इस्तेमाल करने का फैसला किया. अब तक तो पशुओं का व्हिम्पर के साथ उसकी साप्ताहिक मुलाकातों के दौरान नहीं या नहीं के बराबर ही सम्पर्क था. अब अलबत्ता कुछेक चुने हुए पशुओं, खासकर भेड़ों को यह हिदायत दी गयी कि वे उसे सुनाने के लिए गाहे-बगाहे यह जिक्र करती रहें कि उनका राशन बढ़ा दिया गया है. इसके अलावा, नेपोलियन ने यह आदेश दिया कि भंडार घर में बिल्कुल खाली हो चुके डिब्बों को लगभग लबालब रेत से भर दिया जाए और उन्हें, जो थोड़ा बहुत राशन खाना बचा है, उससे पाट दें. किसी मुफीद बहाने से व्हिम्पर को भंडार-गृह में ले जाया गया ताकि वह डिब्बों को एक निगाह देख सके. वह धोखे में आ गया और बाहरी दुनिया को लगातार यही खबरें देता रहा कि बाड़े में खाने-पीने की कोई कमी नहीं है.

इतना होते हुए भी जनवरी के खत्म होते-न-होते यह स्पष्ट हो गया कि कहीं से कुछ और अनाज लेना ज़रूरी होगा. इन दिनों नेपोलियन जनता के सामने विरले ही आता. वह अपना सारा समय फार्म हाउस में गुजारता. इसके हरेक दरवाजे पर खूंखार से लगने वाले कुत्तों का पहरा रहता. जब भी वह बाहर आता तो उसका आना समारोह-पूर्वक होता. छः कुत्ते उससे एकदम सटकर चलते हुए उसकी अगवानी करते और यदि कोई ज्यादा नज़दीक आ जाता तो गुर्राने लगते. अक्सर वह रविवार की सुबह के समय भी नज़र न आता, बल्कि दूसरे सूअरों में से किसी एक के, आम तौर पर स्क्वीलर के हाथ आदेश जारी करवा देता.

रविवार की एक सुबह स्क्वीलर ने घोषणा की कि मुर्गियों को, जिन्होंने हाल ही में फिर से अंडे दिये हैं, अपने अंडे अनिवार्य रूप से सौंपने होंगे. नेपोलियन ने व्हिम्पर के ज़रिए हर हफ्ते सौ अंडे का एक ठेका मंजूर किया है. इनसे मिलने वाले धन से इतना अनाज और खाना लिया जा सकेगा कि पशु बाड़े को गर्मियों तक और हालात सुधरने तक चलाया जा सके.

जब मुर्गियों ने यह सुना तो उनमें भीषण हड़कंप मच गया. उन्हें पहले चेतावनी दी गयी थी कि इस त्याग की ज़रूरत पड़ सकती है, लेकिन उन्हें विश्वास नहीं था, ऐसा सचमुच हो जाएगा. वे अभी वसंत ऋतु में सेने के लिए अपने दिये अंडों की ढेरियां तैयार कर ही रही थीं. उन्होंने विरोध जतलाया कि उनसे ऐसे वक्त अंडे छीन ले जाना हत्या होगी. जोन्स के निष्कासन के बाद यह पहली बार था कि बगावत से मिलता-जुलता कुछ हो रहा था. तीन युवा काली मिनोरका पछोरों के नेतृत्व में उन्होंने नेपोलियन की इच्छाओं पर पानी फेरने के लिए निर्णायक प्रयास किया. वे उड़कर टांडों पर जा बैठीं और वहीं अपने अंडे दिये जो नीचे गिरकर टूट-फूट गये. नेपोलियन ने तुरंत और बेरहमी से कार्रवाई की. उसने मुर्गियों की खुराक बंद करने का आदेश दिया और धमकी दी कि यदि कोई पशु मुर्गियों को अनाज का एक दाना भी देता हुआ पाया जाए तो उसे मृत्युदण्ड दिया जाए. कुत्तों ने इस बात की निगरानी की कि इन आदेशों का ठीक तरह से पालन हो. पांच दिन तक मुर्गियां अलग-थलग रहीं. फिर उन्होंने आत्मसमर्पण कर दिया और अपने दड़बों में लौट आयीं. इस बीच नौ मुर्गियां मर चुकी थीं. उनके शव फलोद्यान में दफना दिये गये और यह खबर फैला दी गयी कि आंत्ररोग से उनकी मौत हो गयी है. व्हिम्पर ने इस बाबत कुछ भी नहीं सुना और अंडों की विधिवत सुपुर्दगी कर दी गयी. एक किराने वाले की गाड़ी हफ़्ते में एक बार फार्म पर आती और अंडे ले जाती.

इस पूरे अरसे के दौरान स्नोबॉल को फिर नहीं देखा गया. यह अफवाह थी कि वह दोनों पड़ोसी फार्मों में से एक में या तो फॉक्सवुड में या फिर पिंचफील्ड में, छुपा हुआ है. इस समय तक नेपोलियन ने पहले की तुलना में दूसरे किसानों से थोड़े बेहतर सम्बंध बना लिये थे. हुआ यह कि अहाते में इमारती लकड़ी का एक ढेर पड़ा हुआ था, जो दस बरस पहले सफेदे के झुरमुट साफ़ करने के बाद से वहीं चट्टे लगाकर रखा हुआ था. लकड़ी अच्छी सिझायी हुई थी और व्हिम्पर ने नेपोलियन को इसे बेच डालने की सलाह दी थी. मिस्टर विलकिंगटन और मिस्टर फ्रेडरिक, दोनों ही इसे खरीदने के लिए उत्सुक थे. नेपोलियन दोनों के बीच हिचकिचा रहा था और फैसला नहीं कर पा रहा था. यह पता चला कि जब भी यह फ्रेडरिक के साथ सौदेबाजी करने की स्थिति तक पहुंचता यह घोषित कर दिया जाता कि स्नोबॉल फॉक्सवुड में छुपा बैठा है, जबकि विलकिंगटन की तरफ उसका झुकाव होते ही स्नोबॉल को पिंचफील्ड में बता दिया जाता.

वसंत के शुरू में, अचानक एक खतरनाक बात पता चली. स्नोबॉल गुपचुप रात के वक्त बाड़े में आता रहा था. पशु इतने व्याकुल हो गये कि रात में अपने-अपने थान पर सोना उनके लिए मुश्किल हो गया. यह कहा गया कि हर रात वह अंधेरे का फायदा उठाते हुए भीतर सरक आता है और हर तरह की बदमाशियां करता है. वह मकई चुराता है, दूध के बर्तन अस्त-व्यस्त कर देता है, वह अंडे तोड़ देता है, वह क्यारियों को रौंद देता है, वह फलदार पेड़ों की छाल उतार देता है. जब भी कहीं कोई गड़बड़ होती, आम तौर पर स्नोबॉल के मत्थे मढ़ दी जाती. अगर कोई खिड़की टूट जाती, या नाली जाम हो जाती, तो कोई-न-कोई जरूर कह देता रात को स्नोबॉल आया था और ये खुराफातें कर गया. जब भंडार घर की चाभी खो गयी तो पूरे बाड़े को पक्का विश्वास हो गया कि स्नोबॉल ने ही चाभी कुंए में फेंक दी है. कौतुहल तो इस बात का था कि अनाज की बोरी के नीचे खोई हुई चाभी मिल जाने के बाद भी वे इसी पर विश्वास करते रहे. गायों ने सर्वसम्मति से घोषणा कर दी कि स्नोबॉल उनके थानों में घुस आता है और जब वे नींद में होती हैं, उनका दूध दुह ले जाता है. चूहे भी, जो उन सर्दियों में ऊधमी हो गये थे, स्नोबॉल के साथ साठ-गांठ के दोषी करार दिये गये.

नेपोलियन ने आदेश दिया कि स्नोबॉल की हरकतों की पूरी छानबीन होनी चाहिए. उसने अपने कुत्तों को मुस्तैद किया और बाड़े की इमारतों का निरीक्षण करने के लिए सतर्क होकर दौरा किया. पशु आदरपूर्वक उससे थोड़ी दूरी बनाये पीछे चलते रहे. थोड़े-थोड़े कदमों के बाद नेपालियन रुकता, स्नोबॉल के पैरों के निशानों को पहचानने की नीयत से ज़मीन सूंघता. उसका कहना था कि वह सूंघ कर ही पता लगा सकता है. उसने कोने-कोने में सूंघा. बखार में सूंघा. तबेले में सूंघा, फिर दड़बों में सूंघा. सब्जियों की क्यारियों में सूंघा. उसे कमोबेश हर जगह स्नोबॉल के पैरों के निशान मिले. वह अपना थूथन ज़मीन पर लगाता, लम्बी-लम्बी कई सांसें खींचता और डरावनी आवाज़ में चिल्लाता, स्नोबॉल! वह यहां आया था! मैं उसे अलग से सूंघ कर बता सकता हूं. स्नोबॉल शब्द कानों में पड़ते ही कुत्ते भयानक रूप से गुर्राने लगते और अपने डरावने दांत दिखाते.

(अनुवाद – सूरज प्रकाश)

(मार्च 2014)

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