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डॉ. समणी कुसुमप्रज्ञा – नवनीत हिंदी https://www.navneethindi.com समय... साहित्य... संस्कृति... Thu, 23 Apr 2015 06:35:41 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8 https://www.navneethindi.com/wp-content/uploads/2022/05/cropped-navneet-logo1-32x32.png डॉ. समणी कुसुमप्रज्ञा – नवनीत हिंदी https://www.navneethindi.com 32 32 पुस्तक परिचय (मार्च , 2014) https://www.navneethindi.com/?p=1793 https://www.navneethindi.com/?p=1793#respond Thu, 23 Apr 2015 06:35:41 +0000 http://www.navneethindi.com/?p=1793 Read more →

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दलित करोड़पति

मिलिंद खांडेकर

पेंगुइन बुक्स इंडिया प्रा.लि., 11 कम्युनिटी सेंटर पार्क, नयी  दिल्ली 110017

मूल्य- 150 `

इस पुस्तक में ऐसे 15 दलित करोड़पतियों की कहानियां हैं, जिन्होंने पिछले कुछ सालों में करोड़ों का कारोबार खड़ा कर लिया. इन कहानियों से पता चलता है कि कैसे उन्होंने रोड से करोड़ों तक का सफर तय किया. ये संघर्ष और सफलता की, सीमाओं और उनके टूटने की, जाति और पूंजीवाद की कहानियां हैं. इनमें उस जातीय भेदभाव की पठनीय गाथा भी है जो आधुनिकता के बावजूद कायम है.

आचार्य तुलसी का अध्यापन कौशल

डॉ. समणी कुसुमप्रज्ञा

जैन विश्वभारती, पोस्ट-लाडनूं 341306, जिला- नागौर (राजस्थान)

मूल्य-80 `

विविध दायित्वों के साथ आजीवन एक आदर्श गुरु की भूमिका निभाने वाले आचार्य तुलसी के अध्यापक के महत्त्व, उद्देश्य, प्रयोग, प्रशिक्षण, व्यक्तित्व निर्माण में भूमिका जैसे अनेकों विषयों पर विचारों को इस पुस्तक में संकलित किया गया है.  आचार्यश्री की सूक्तियों, उदाहरणों, निजी अनुभवों, आत्मस्वीकृतियों, दृष्टांतों, आदि को सरल और सरस बनाकर प्रस्तुत किया गया है. 

नयी कोंपलों की खातिर

भगवती प्रसाद द्विवेदी

अभिधा प्रकाशन, मुजफ्फरपुर-842002

मूल्य- 150 `

इस पुस्तक के गीतों में वर्तमान के खतरों से रूबरू कराने के साथ ही भविष्य के प्रति भी सचेत किया गया है. सामाजिक व्यवस्था की असंगति, प्रशासन तंत्र का चेहरा, शहरीपने से जूझते गांव, टूटता-बिखरता घर-परिवार, नवबाज़ारवाद की अपसंस्कृति आदि बहुत कुछ है इन में. इन में मानवीय करुणा से उपजे व्यंग्य और स्थानीय बोलियों का सौंदर्य पाठक को अतिरिक्त आनंद प्रदान करता है.

कागज की ज़मीन पर

दामोदर खड़से

दिशा प्रकाशन, 138/16, त्रिनगर, दिल्ली-110035 

मूल्य-690 `

इस पुस्तक में रचनाकार दामोदर खड़से के व्यक्तित्व एवं कृतित्व को संकलित किया गया है. विभिन्न साहित्यकारों के खड़सेजी पर लिखे लेखों, उनके रचनाक्रम के समीक्षा-लेख,  पत्रों के आईने में, साक्षात्कार के साथ ही चित्र-स्मरणों में खड़सेजी को दर्शाया गया है. इन संकलित रचनाओं द्वारा डॉ. सुनील देवधर एवं डॉ. राजेंद्र श्रीवास्तव ने खड़से जी के व्यक्तित्व एवं रचनाकर्म मूल्यांकन का प्रयास किया है. डॉ. दामोदर खड़से को कृतियों के माध्यम से समझने हेतु पुस्तक पठनीय है. 

मेवाड़ की कहावतें

सं.- लक्ष्मीलाल जोशी

यतींद्र साहित्य सदन, सरस्वती विहार, शब्द गंध द्वार, भीलवाड़ा राजस्थान

मूल्य- 400 `

प्रचलित कहावतें अपना इतिहास और तर्कसंगत स्थायित्व रखती हैं. इस  संग्रह में मेवाड़ की कहावतों को 10 श्रेणियों- नीति परक, मानव प्रकृति, अन्योक्तियां, जाति संबंधी, ऐतिहासिक, ऋतु संबंधी, कृषि संबंधी, विविध, हास्य-व्यंग्य और विशिष्ट में बांटा गया है. कठोर बातों को कोमल शब्दों में लपेटकर कहने का चातुर्य लिये इन कहावतों के माध्यम से मेवाड़ की संस्कृति एवं समाज की झलक भी मिलती है. भाषा, संस्कृति के अध्ययन हेतु पुस्तक उपयोगी सिद्ध होगी.

भाड़े का रिक्शा

डॉ. राजेश्वर उनियाल

विश्व प्रकाशन संस्थान, बी-109, (द्वितीय तल) प्रीत विहार, दिल्ली-110092  

मूल्य- 350 `

इस उपन्यास में लेखक ने महानगरों में रह रहे निम्नमध्यवर्गीय लोगों के जीवन को उकेरा है. उपन्यास का नायक रामदयाल उत्तर प्रदेश के  एक गरीब परिवार से है जो अपनी गरीबी से उबरने के लिए मुंबई आता है. शहरी जीवन के थपेड़े खाता हुआ वह रिक्शाचालक बन जाता है और सपना पाले रहता है कि एक दिन उसका अपना रिक्शा होगा. कथानक एक निर्धन की आकांक्षाओं और उसे पूरा करने की जद्दोजहद को अभिव्यक्त करता है.

 

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