सपने में देखा

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उस रात सपने में मैं स्वर्ग के फाटक पर खड़ा था.

तभी एक धर्माचार्य आया और स्वर्ग के द्वाररक्षक फरिश्ते से बोला- ‘मुझे स्वर्ग में प्रवेश मिलना चाहिए. मैं दिन-रात धर्मग्रंथों का स्वाध्याय करता रहा हूं.’

उसे उत्तर मिला- ‘ठहरो, हम पहले इसकी जांच करेंगे कि तुमने धर्मप्रेम के कारण स्वाध्याय किया, या केवल इसलिए कि वह तुम्हारा पेशा था.’

फिर आया एक कर्मकांडी, बोला- ‘मैंने बहुत व्रत किये हैं.’

उत्तर मिला- ‘ठहरो, पहले हम इसकी जांच करेंगे कि तुमने व्रत किस नीयत से किये थे.’

अंत में आया एक भटियारा. बोला- ‘महाराज, जो कोई गरीब थकाहारा राहगीर आता था, उसे मैं सराय में मुफ्त में ठहरा लेता था, दो रोटियां भी दे देता था.’

फरिश्ता चुपचाप उठा और उसने स्वर्ग के फाटक भटियारे के लिए खोल दिये.

( फरवरी 1971 )

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