विकलांग की किक से शुरू होगा विश्व कप

ब्राज़ील में 2014 में आयोजित होने वाली फुटबॉल की विश्व कप प्रतियोगिता की शुरुआत एक विकलांग व्यक्ति पहली किक लगाकर करेगा. आम तौर पर विश्व कप की शुरुआत कोई मशहूर खिलाड़ी गेंद को किक मारकर करता आया है. इस वर्ष यह सम्मान एक ऐसे किशोर लड़के को दिया जा रहा है जो कमर के नीचे पूरी तरह लकवाग्रस्त है.

इस विचार के पीछे वॉक-अगैन प्रोजेक्ट का हाथ है. वॉक-अगैन प्रोजेक्ट एक अंतर्राष्ट्रीय संयुक्त प्रयास का नाम है जिसका उद्देश्य है लकवाग्रस्त व्यक्तियों को टेक्नॉलॉजी की मदद से सशक्त बनाना. ब्राज़ील के विश्व कप में जो अद्भुत नज़ारा पेश होगा वह टेक्नॉलॉजी की ताकत का प्रदर्शन होगा.

वॉक-अगैन प्रोजेक्ट की टीम ने एक बाह्य कंकाल तैयार कियां है जो कमर के नीचे के पूरे शरीर को सहारा देता है. इस बाह्य कंकाल का नियंत्रण दिमाग में चल रही गतिविधियों के माध्यम से किया जाता है. दिमाग की गतिविधियों को पहचानने के लिए व्यक्ति के भेजे में या खोपड़ी के बाहर की ओर इलेक्ट्रोड लगाए जाते हैं. ये इलेक्ट्रोड दिमाग में चल रही हलचल को विद्युत संकेतों में बदलकर एक कम्प्यूटर में भेजते हैं. यह कम्प्यूटर उस व्यक्ति के शरीर पर ही बंधा होता है. कम्प्यूटर उस व्यक्ति के दिमाग से प्राप्त संकेतों को शरीर की हरकतों में बदल देता है.

विश्व कप में जो लड़का उद्घाटन किक लगाने वाला है, वह फिलहाल ब्राज़ील में ही कुछ अन्य लोगों के साथ आभासी बाहय कंकाल का प्रशिक्षण ले रहा है. विश्व कप में वह वास्तविक बाह्य कंकाल के साथ खेलेगा.

वॉक-अगैन प्रोजेक्ट के साथी जानते हैं कि सिर्फ दिमागी संकेतों को गतियों में बदल देने से चलने-फिरने का कुदरती एहसास पैदा नहीं होता. इसके लिए वे बाह्य कंकाल में कुछ ग्राही लगा रहे हैं जो व्यक्ति को स्पर्श, तापमान, दबाव वगैरह का एहसास प्रदान करेंगे. कोशिश यह है कि ये संवेदनाएं सीधे उस व्यक्ति के मस्तिष्का में पहुंचाई जाए ताकि उसे लगे कि बाह्य कंकाल सचमुच उसके शरीर का अंग है.

इस प्रोजेक्ट में शामिल प्रमुख रोबोटिक इंजीनियर हैं जर्मनी के म्यूनिख तकनीकी विश्वविद्यालय के गॉर्डन चेंग. उनका कहना है कि बाह्य कंकाल द्वारा पैदा किए गए कंपन ज़मीन को छूने, ऐड़ी को घुमाने और किक मारने जैसी अनुभूतियों की नकल पैदा कर सकते हैं मगर वास्तविक चुनौती तो यह है कि इन कंपनों को दिमागी पैटर्न का रूप दिया जाए और वास्तविक गतियों से जोड़ा जाए     

(स्रोत फीचर्स)

(मार्च 2014)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *