।। आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतः।।
एक खत
चांद सूरज दो दवातें कलम ने डोबा लिया
लिखतम् तमाम धरती पढ़तम् तमाम धरती।
सांइसदानो, दोस्तो!
गोलियां, बंदूकें, एटम बनाने से पहले इस खत को पढ़ लेना
हुक्मरानो, दोस्तो
गोलियां, बंदूकें, एटम चलाने से पहले इस खत को पढ़ लेना
सितारों के हरफ और किरनों की बोली अगर पढ़नी नहीं आती
किसी आशिक-अदीब से पढ़वा लेना
अपने किसी महबूब से पढ़वा लेना
और हर मां की यह मातृबोली है
बैठ जाना किसी भी ठांव, खत पढ़वा लेना किसी भी मां से
फिर आना और मिलना कि मुल्क की हद जहां है
एक हद मुल्क की और नाप कर देखो
एक हद इल्म की, एक हद इश्क की
और फिर बताना कि किसकी हद कहां है
चांद सूरज दो दवातें, हाथ में एक कलम लो
इस खत का जवाब दो
और दुनिया की खैरियत के दो हरफ भी डाल दो
तुम्हारी अपनी धरती
तुम्हारे खत की राह देखती बहुत फिकर कर रही है…
– अमृता प्रीतम