नवम्बर 2016

कुलपति उवाच

कर्मयोग का मार्ग

के.एम. मुनशी

अध्यक्षीय

रुको, विचारो और फिर आगे बढ़ो

सुरेंद्रलाल जी. मेहता

पहली सीढ़ी

मधुर-मधुर मेरे दीपक जल!

महादेवी वर्मा

आवरण-कथा

अंधेरे को मत कोसो…

सम्पादकीय

आत्मलोक को उद्भासित करने का समय

कैलाशचंद्र पंत

ज़रा मशाल जलाओ बहुत अंधेरा है

डॉ. विजयबहादुर सिंह

अंधकार में एक दिया जलायें तो

मृणाल पाण्डे

नियति नहीं है अंधेरा

नर्मदाप्रसाद उपाध्याय

तुम एक दीया जला सकते हो

बेरी केमरॉन

अंतिम जन तक पहुंचे दीये की रोशनी

परिचय दास

नोबेल कथा

वाम-हत्थे

गुंथर ग्रास

व्यंग्य

युधिष्ठर का पत्र यक्ष के नाम

शशिकांत सिंह ‘शशि’

धारावाहिक उपन्यास – 10

शरणम्

नरेंद्र कोहली

शब्द-सम्पदा

छायातप

विद्यानिवास मिश्र

आलेख

संस्थागत धर्म से मुझे डर लगता है

भीष्म साहनी

शिक्षा की दुनिया में पसरता अंधेरा

प्रेमपाल शर्मा

ऊंचे झंडों वाला राष्ट्रवाद

रामचंद्र गुहा

नियाग्रा का मायावी सम्मोहन

लक्ष्मेंद्र चोपड़ा

दर्द का दस्तावेज

अशोक भौमिक

दान!

प्रभाकर श्रोत्रिय

सुगंध का चर्मलेख

पु.  गो. वालुंजकर

अपने पैरों, अपनी बुद्धि पर खड़े होने…

शंकर शरण

असुर सामंतों ने बसाये यूरोप के कई देश

बल्लभ डोभाल

मिजोरम की राजकीय मछली – नघवांग

डॉ. परशुराम शुक्ल

किताबें

कथा

गिद्ध

अशोक ‘अंजुम’

कौन ठगवा नगरिया लूटल हो

मालती जोशी

कविताएं

अंधेरे का मुसाफर

सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

दीप-दान

केदारनाथ सिंह

आशा बलवती है राजन्

नंद  चतुर्वेदी

ज़िंदगी

चंद्रसेन विराट

समाचार

भवन समाचार

संस्कृति समाचार

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