अप्रैल 2018

कुलपति उवाच 

ईश्वर-पद तक चढ़ना है

के.एम. मुनशी

अध्यक्षीय

`तत्वमसि’

सुरेंद्रलाल जी. मेहता

पहली सीढ़ी

शाश्वत जीवन के लिए

संत फ्रांसिस

आवरण-कथा

समरस समाज के लिए

सम्पादकीय

असली शोकांतिका

न्यायमूर्ति चंद्रशेखर धर्माधिकारी

घर से होता है समरसता का संचार

रमेश नैयर

न्याय, समानता पर ही आधारित है समरसता

अपूर्वानंद

समरसता से शुरू हुआ होगा समाज बनना

विकास मिश्र

तब बंधुता वास्तविकता बनेगी

बी.आर. आम्बेडकर

व्यंग्य

ट्रेन ज्योतिषी!

अमृतलाल वेगड़

शब्दों का सफर

बैसाखी और बैसाखनंदन

अजित वडनेरकर

आलेख 

`बताओ तुमने मेरे भविष्य का क्या किया?’

एली वीज़ेल

जलियांवाला बाग की मिट्टी…

राजशेखर व्यास

चम्बल की बंदूकें गांधी के चरणों में

जयप्रकाश नारायण

शिक्षा में सत्याग्रह

नंदकिशोर आचार्य

मैंने उस चमकते सितारे को देखा था!

पंकज जोशी

अपना आस-पास ही सब लिखवा लेता है

मालती जोशी

हवाई बुलबुलों में घोंसला बनाती है यह मकड़ी!

डॉ. परशुराम शुक्ल

अस्मा के लिए मनुष्य सिर्फ मनुष्य था

होमी दस्तूर

भारत का वेनिस – अल्लप्पी जहां धरती बांचती है आसमानी प्रेम-पत्र

पूनम मिश्रा

वहां पढ़ने-पढ़ाने की संस्कृति जीवित है

मीनाक्षी जोशी

…और यह भी गुज़र जाएगा

श्रीप्रकाश शर्मा

एक पते पर कई सारे खत

किताबें

कथा

ज्वालामुखी 

सूर्यकांत नागर 

ताश की आदत

नानक सिंह

बंद गली का आखिरी मकान

धर्मवीर भारती

कविताएं

कुरीपुज्जा श्रीकुमार की कविताएं

दो कविताएं

गंगाप्रसाद विमल

समाचार

भवन समाचार

संस्कृति समाचार

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