शब्द-यात्रा
`योग’ से `योगदान’ और `योगा’ तक
— आनंद गहलोत
पहली सीढ़ी
आंखों से आंखों को जोड़ें
— हरीश भादानी
मेरी पहली कहानी
स़िर्फ एक मौत
— जितेंद्र भाटिया
आवरण-कथा
क्या राष्ट्र के रूप में ज़िंदा रहने की इच्छा-शक्ति खत्म हो रही है?
— कैलाशचंद्र पंत
भारत जोड़ने और तोड़नेवाली लहरों के बीच
— रमेश नैयर
आलेख
भारत का दायित्व
— प्रो. सिद्धेश्वर प्रसाद
बाबा आम्टे होने का अर्थ
— रमेश थानवी
राम होने का अर्थ
— विद्यानिवास मिश्र
मैं शस्त्रधारियों में राम हूं
— डॉ. दुर्गादत्त पाण्डेय
ताकि अधकचरी आधुनिकता के खतरों से बच सकें
— डॉ. पूनम दईया
स्त्री की निर्णय-सामर्थ्य का उदाहरण है द्रौपदी
— डॉ. सुमित्रा अग्रवाल
भागो नहीं, दुनिया को बदलो
— कृष्ण कुमार यादव
अधूरे उपन्यास की पूरी कथा
— डॉ. प्रदीप जैन
हिंदू-मुस्लिम सद्भाव-सौहार्द का बेमिसाल शायर
— डॉ. राजेंद्र मिलन
जाति जन्म से नहीं होती
— स्वामी पार्थसारथी
डॉल्फिन के पास भी हैं शब्द
— स्रोत फ़ीचर्स
भारत का राष्ट्रीय पक्षी और उड़ीसा का राज्य पक्षी मोर
— डॉ. परशुराम शुक्ल
कोटिकहू कलधौत के धाम करील के कुंजन ऊपर वारों
— कौस्तुभ आनंद पंत
ललित-निबंध
पत्नियों का ट्रेड यूनियन
— फ़िक्र तौंसवी
यात्रा-कथा
प्रकृति का मासूम दर्शन-मैनपाट
— सच्चिदानंद जोशी
व्यंग्य
फ़ासीवादी सर्दी और जुकाम
— राधेश्याम
कहानियां
रली
— संतोष झांझी
हुकुम
— डॉ. नताशा अरोड़ा
वो आखिरी बार सैन फ्रांसिसको में देखी गयी थी
— सोहन शर्मा
वेदव्यास आये!
— डॉ. विनय
उस दिन की बात
— प्रतिभा राय
कविताएं
जहां जायेगा, वहीं तेरा साथी हाथ थामे चलायेगा तुझे
— कुसुमाग्रज
समय देवता
— सुभाष रस्तोगी
रमेशचंद्र पंत के दो गीत
— रमेशचंद्र पंत
नामवर की दो कविताएं
— नामवर
समाचार
संस्कृति – समाचार
भवन के समाचार
आवरण चित्र
साभार – धन्या कृष्णकुमार