रातगाड़ी

<   पास्तोव्स्की की रूसी कथा का सुखबीर द्वारा अनुवाद   >

     वेनिस के उस छोटे-से, गंदे, खस्ता हालत होटल में जब हानस क्रिश्चियन एंडर्सन रहने के लिए आया, तो उसने मेज पर पड़ी दावात में थोड़ी-सी स्याही देखी और एक परी-कथा लिखने के लिए बैठ गया. लेकिन वह परी-कथा देखते-देखते उसकी आंखों के सामने से लुप्त होने लगी, क्योंकि रह-रह कर उसे दावात में पानी की कुछ बूंदें डालनी पड़ रही थीं, ताकि उसमें की थोड़ी-सी स्याही सूख न जाये. आखिर जब स्याही बिलकुल ही खत्म हो गयी तो कहानी का खुशी भरा अंत दावात में ही रह गया. एंडर्सन को यह बात अजीब लगी, और उसने अपनी उस नयी कहानी का नाम रखना चाहा ‘सूखी हुई दावात में रह गयी कहानी.’

     वहां रहते हुए एंडर्सन को वेनिस से प्यार हो गया था, और उसने उसे ‘मुस्कराता जा रहा कमल का फूल’ कहा. जब भी वह उसे अपनी खिड़की से देखता, वह उसे महान चित्रकार, कैनालोटो के किसी चित्र जैसा लगता- सुंदर, पर कुछ उदास-सा.

     वह समय आ गया, जब एंडर्सन को वह होटल छोड़कर इटली में और आगे सफर करना था. उसने होटल के नौकर को बुलाकर उस रात वेरोना जाने वाली घोड़ागाड़ी का टिकट लाने के लिए कहा.

     होटल की सबसे नीचे की मंजिल पर जो गंदी, अंधेरी रसोई थी, उसमें से दिनभर जवान स्त्रियों की आवाजें सुनाई दिया करती थीं. वे कभी जोर-जोर से हंसती, कभी शोर मचाती हुई झगड़तीं. एंडर्सन कभी वहां से गुजर रहा होता, तो रुक जाता और खुशी-भरी दिलचस्पी से उनका शोर सुनता.

     शानदार लिबास में, पतले-इकहरे शरीर और तीखे नाक वाले एंडर्सन को देखकर स्त्रियां घबरा उठती और झगड़ा अपने आप बंद हो जाता. वे उसे सफरी जादूगर समझती थीं, यद्यपि उसे बड़े आदर से ‘श्रीमान कवि’ कहकर बुलाती थीं. कवि कहकर बुलाये जाने पर एंडर्सन उनसे बातें नहीं करता. वह न गिटार बजाता था, न रोमांसभरे गीत गाता था. न ही वह किसी सुंदर स्त्राr को देखकर उससे प्यार करने लगता था. हां, एक बार उसने अपने कोट के कालर में से फुल निकालर प्लेंटें धोने वाली लड़कियों में से सबसे बदसूरत लड़की को दिया था. वह लंगड़ी भी थी।

     रात के समय जब गाड़ी वेनिस से चली, तो हल्की-सी बूंदाबांदी होने लगी थी. शहर पर सघन अंधेरा फैला हुआ था. उस अंधेरे में गाड़ी के कोचवान की आवाज़ सुनायी दी- ‘कोई शैतान ही रात के वक्त वेनिस से वेरोना जाने के बारे में सोच सकता है.’

     जब यात्रियों ने जवाब में कुछ न कहा, तो कोचवान कुछ देर चुप रहा, उसने थूका और फिर यात्रियों को बताया कि लैंप में जो छोटी-सी मोमबत्ती जल रही है, उसके अलावा उसके पास और मोमबत्ती नहीं है. इस बार भी यात्री चुप रहे. तब उसे शक हुआ कि कहीं यात्री पागल न हों, और उसने कहा कि वेरोना बहुत बुरा और गंदा शहर है और अच्छे लोगों के रहने के लायक नहीं है. इस बार भी किसी बात का जवाब नहीं दिया. सभी जानते थे कि वह झूठ बोल रहा है.

     गाड़ी में सिर्फ तीन यात्री थे- एंडर्सन, बड़ी उम्र का उदास दिखाई देनेवाला पादरी, और काले लिबास पहने हुए एक स्त्राr जो मोमबत्ती के कांपते हुए प्रकाश में एंडर्सन को कभी जवान और सुंदर प्रतीत होती थी, कभी बूढ़ी और बदसूरत लगती.

     ‘क्या खयाल है आपका, यह बत्ती बुझा दी जाये?’ एंडर्सन ने कहा- ‘अभी उसके बिना गुजारा चल सकता है. इसे सम्भालकर रख लेना चाहिए, ताकि खास ज़रूरत पड़ने पर काम आ सके.’

     ‘ऐसा विचार कभी किसी इतालवी के सिमाग में नहीं आ सकता,’ पादरी ने कहा.

     ‘क्यों?’ एंडर्सन ने पूछा.

     ‘इतालवी भविष्य के बारे में सोचने में असमर्थ हैं.’

     एंडर्सन ने बत्ती बुझा दी.

     ‘इटली के इस भाग में बत्ती बुझाकर सफर करना अधिक सुरक्षित है,’ स्त्राr ने कहा.

     बत्ती के बुझते ही रात की आवाज़ें और महकें ज्यादा साफ महसूस होने लगीं. गाड़ी की छत पर पड़ती बूंदों की आवाज़ भी अब अधिक शोर मचा रही थी.

     ‘अजीब है,’ एंडर्सन ने होठों में जैसे खुद से कहा- ‘मैंने तो सोचा था कि इटली में जंगली संतरों की महक आ रही होगी. लेकिन यहां तो मैं अपने देश जैसी ही महक मससूस कर रहा हूं.’

     ‘हम जब चढ़ाई पर चढ़ेंगे, तो हवा बदल जायेगी,’ स्त्राr ने कहा- ‘तब कुछ स्निग्धता महसूस होगी.’

     कुछ आगे जाने पर एंडर्सन ने खिड़की पर पड़ा पर्दा हटाया, ताकि वृक्षों की टहनियां गाड़ी के अंदर आ सकें. यादगार के तौर पर उसने एक टहनी से कुछ पत्ते तोड़े.

     सफर के दौरान उसे छोटी-छोटी साधारण किस्म की नगण्य-सी चीज़ें इकट्ठा करने का शौक था- नक्काशीदार कोई चीज़, देवदार का पत्ता, घोड़े की नाल आदि. कुछ समय बीत जाने पर यह चीज़ें वही एहसास जगातीं जो कि उन्होंने शुरू में जगाया था.

     ‘रात का समय!’ एंडर्सन ने अपने आपसे कहा.

     रात के उस उदासी-भरे वातावरण में वह पूरी तरह अपने सपनों में खो गया. फिर वह कहानियां सोचने लगा. ऐसी कहानियां, जिनमें वह एक सुंदर जवान राजकुमार था. जो बड़ी काव्यात्मक भाषा में ऐसी बातें करता था, जिन्हें कि भावुक किस्म के आलोचक ‘कविता के फूल’ कहा करते हैं. अपने बारे में इस प्रकार सोचने में उसे बड़ा आनंद आता था, जबकि वास्तव में- उसने खुद को धोखा नहीं दिया था- वह बहुत ही बदसूरत और ज़रूरत से ज्यादा लम्बा, और शर्मीले किस्म का आदमी था. उसे यह आशा नहीं थी कि कभी किसी स्त्राr का ध्यान वह अपनी ओर आकर्षित कर सकेगा. जब सुंदर जवान लड़कियां उसके पास से ऐसी लापरवाही से गुजर जातीं जैसे वह आदमी नहीं कोई खंभा हो, तब उसके दिल में एक तीखी पीड़ा उठती.

     वह ऊंघने लगा था. जब उसकी आंखें खुलीं, तो गाड़ी रुकी हुई थी और उसे कुछ जवान लड़कियों की, कोचवान से किराये के बारे में झगड़ने की आवाजें सुनाई पड़ी. उनकी आवाजें इतनी संगीतमय थीं कि उसे पुराने आपेरा का वह संगीत याद आया, जो उसने एक बार सुना था. वे लड़कियां किसी नजदीक के शहर जाना चाहती थीं, लेकिन उनके पास उतना किराया नहीं था, जितना कोचावान मांग रहा था.

     एंडर्सन कुछ देर तक तो झगड़ा सुनता रहा, फिर उसने चीखकर कोचवान से कहा- ‘बंद करो यह झगड़ा, बाकी किराया मैं दे दूंगा.’

     यह सुनते ही कोचवान ने लड़कियों से कहा- ‘आओ, बैठ जाओ, और ईश्वर को धन्यवाद दो, जिसने विदेश से ऐसे अमीर राजकुमार को यहां भेजा है. यह न सोचना कि इन्होंने तुम्हारी शक्लें देखकर किराया देना कबूल किया है. इन्हें तुम्हारी चिंता है तो इस बात की कि कहीं रास्ते में देर हो न जाये.’

     ‘क्या बदतमीजी है!’ पादरी ने कहा. गाड़ी चल पड़ी, तो लड़कियां मद्धिम आवाज़ों में आपस में बातें करने लगीं.

     ‘श्रीमानजी’, काले लिबास वाली स्त्राr ने एंडर्सन को संबोधित करते हुए कहा- ‘यह लड़कियां जानना चाहती हैं कि आप कोई साधारण यात्री हैं, या बदले हुए वेश में किसी देश के राजकुमार?’

     ‘मैं लोगों की किस्मत बताने वाला हूं,’ एंडर्सन ने कहा- ‘मैं भविष्य के बारे में बता सकता हूं, और अंधेरे में देख सकता हूं.’

     ‘तो बताइये, इस समय आप क्या देख रहे हैं,’ एक लड़की ने हैरानी से पूछा.

     ‘मैं तुम्हें देख रहा हूं,’ एंडर्सन ने कहा- ‘और मैं मन-ही-मन तुम्हारी सुंदरता को सराह रहा हूं.’ यह कहते हुए उसे अपने चेहरे पर ठंडक-सी महसूस हुई, और वह जान गया कि यह वही हालत है, जो कहानी लिखने से पहले, उसके बारे में सोचते हुए वह महसूस किया करता है.

     कुछ देर के बाद उसने कहना शरू किया- ‘तब मैं सो रहा था, जब तुम्हारी आवाज़ों की बदौलत रात की चुप्पी टूट रही थी. बेशक, रात बहुत अंधेरी है, लेकिन मैं तुम्हारे चेहरे इस तरह देख सकता हूं, मानो दिन के समय देख रहा हूं. इस समय मैं तुममें से उस लड़की की तरफ देख रहा हूं, जिसके चमकदार बाल और हंसमुख चेहरा है, और जिसे पालतू जानवरों से इतना प्यार है कि जब वह बाग में काम कर रही होती है, तो जंगली मैना उसके कंधे पर बैठ जाती है.’

     ‘निकोलीना, यह तो तुम्हारे बारे में कहा जा रहा है,’ एक लड़की ने मद्धिम आवाज में दूसरी लड़की से कहा.

     ‘तुम्हारा दिल बहुत नर्म और प्यार से भरा हुआ है, निकोलीना,’ एंडर्सन कहता गया- ‘अगर तुम्हारा प्रेमी किसी मुसीबत में फंस जाये, तो तुम उसे बचाने के लिए जमीन-आसमान एक कर सकती हो, ज़रूरत पड़ने पर पहाड़ों व रेगिस्तानों को लांघकर हजारों मील का फासला भी तै कर सकती हो. ठीक कह रहा हूं न निकोलीना?’

     ‘हां, बिलकुल ठीक कह रहे हैं,’ निकोलीना ने नर्म आवाज में कहा.

     ‘और दूसरी दोनों लड़कियों के नाम क्या है?’ एंडर्सन ने पूछा.

     ‘मारिया और अन्ना.’

     ‘जहां तक तुम्हारा सवाल है, मारिया,’ एंडर्सन ने कहा- ‘मुझे अफसोस है कि इतालवी जबान मुझे इतनी अच्छी तरह नहीं आती कि तुम्हारी सुंदरता का पूरी तरह बयान कर सकूं. अपनी जवानी के दिनों में मैंने कविता की देवी के सामने वादा किया था कि हमेशा सुंदरता के गीत गाता रहूंगा.’

     ‘क्या बदतमीजी है?’ पादरी ने कहा.

     ‘सुंदर स्त्रियां आम तौर पर गम्भीर स्वभाव की होती हैं,’ एंडर्सन ने कहना जारी रखा- ‘उनके दिलों के छिपे जज्बात उनके चेहरों को रौशन कर देते हैं. यह बात तुम पर पूरी तरह लागू होती है मारिया! ऐसी स्त्रियों की किस्मत में या तो ज्यादा दुःख लिखा है, या ज्यादा खुशी.’

     ‘क्या ऐसी किसी स्त्राr से आप कभी मिले हैं?’ काले लिबास स्त्राr ने पूछा.

     ‘इस समय मैं ऐसी ही दो स्त्रियों को अपने सामने देख रहा हूं. एक आप हैं, और दुसरी मारिया, जो आपके साथ बैठी हुई है. हां तो मारिया, तुम्हारी जिंदगी में खुशी आयेगी. तुम्हें अपनी पसंद का प्रेमी मिलेगा. वह बुहत ही शानदार आदमी होगा. वह चित्रकार हो सकता है, या कवि, या इटली की स्वतंत्रता के लिए लड़ने वाला देशभक्त. वह एक सीधा-सादा चरवाहा भी हो सकता है, और कोई जहाजी भी. लेकिन वह जो भी होगा, बहुत बड़े दिल वाला आदमी होगा.’ सुनकर मारिया गद्गद हो उठी.

     ‘अब मेरी किस्मत बातइये, श्रीमानजी,’ अन्ना ने कहा.

     ‘तुम बहुत बड़े परिवार की मां बनोगी,’ एंडर्सन ने गम्भीर होकर कहा- ‘तुम्हारे बच्चे दूध पीने के लिए लम्बी पंक्ति बनाकर रसोई में खड़े हुआ करेंगे. उन्हें नहलाने-धुलाने में तुम्हारा काफी समय लगा करेगा, और इस काम में तुम्हारा पति तुम्हारा हाथ बंटाया करेगा.’

     कुछ देर बाद मारिया ने कहा- ‘अब कुछ अपने बारे में भी बताइये, श्रीमानजी!’

     ‘मैं एक घूमने-फिरने वाला गवैया हूं,’ एंडर्सन ने कहा! मैं जवन हूं, मेरे सिर पर घुंघराले बाल हैं, मेरा चेहरा धूप के कारण तांबे के रंग का बना हुआ है, और मेरी नीली चमकीली आंखें हैं. मुझे कोई दुख चिंता नहीं है, न ही मुझे किसी से प्यार है. मेरा एक ही शौक है कि मैं लोगों को छोटे-छोटे तोहफे देता हूं, और गलतियां करता हूं.

     ‘कैसी गलतियां?’

     ‘अब जैसे पिछले शीतकाल में मैं जंगलों के एक कर्मचारी के घर में रह रहा था. एक दिन जंगल में घूमते हुए मैं एक ऐसी जगह पहुंचा, जहां अनगिनत कुकुरमुत्ते उगे हुए थे. मैं लौट आया और उसी दिन वापस जाकर हर एक कुकुरमुत्ते के नीचे एक-एक तोहफा रखा. किसी के नीचे चांदी के कागज में लपेटी हुई मीठी गोली, किसी के नीचे खजूर, तो किसी के नीचे फूलों का छोटा-सा गुच्छा. अगले दिन सुबह मैं उस कर्मचारी की सात साल की बेटी को साथ लेकर उस जगह पहुंचा. भला सोचो तो कि कुकुरमुत्तों के नीचे वे चीजें देखकर वह कितनी खुश हुई होगी. मैंने उसे बताया कि वे चीजें परियां वहां रखकर गयी हैं.’

     ‘आपने एक भोली-भाली बच्ची को धोखा दिया है, श्रीमानजी,’ पादरी ने गुस्से से कहा- ‘यह पाप है.’

     ‘यह धोखा नहीं है,’ एंडर्सन ने कहा- ‘मेरा खयाल है कि वह लड़की मेरी इस शरारत को उम्र भर याद रखेगी. मैंने उसे ऐसी खुशी दी है, जिसे वह जिंदगी भर भूल नहीं सकेगी.’

     वह जगह आ गयी, जहां लड़कियों को उतरना था. गाड़ी रुकी. तभी एंडर्सन ने महसूस किया कि किसी ने अपनी कोमल बाहों में उसे भर लिया है, और फिर दो दहकते हुए ओंठ उसके ओंठों से जुड़ गये.

     ‘धन्यवाद,’ उन ओठों ने धीमे-से कहा. एंडर्सन ने आवाज से पहचान लिया कि वह मारिया थी. निकोलीना ने भी उसे चूमा. उसके ओठों का स्पर्श बहुत कोमल था. एंडर्सन ने उसके बालों की सरसराहट अपने कपोलों पर महसूस की.

     जब अन्ना ने उसे चूमा, तो चटखारे की आवाज आयी.

     लड़कियां जब उतर गयीं, तो गाड़ी आगे बढ़ी.

     एंडर्सन को अपने दिल में बेचैनी महसूस होने लगी. उसे बड़ा सूना-सूना लगने लगा.

     वेरोना, बहुत सुंदर शहर था. एंडर्सन घूमता रहा. शाम हुई तो वह किले की ओर जाने वाली सड़क पर चल पड़ा. वह किला गुइसिओली के पुराने महल के सामने खड़ा था. वहां पहुंचकर उसने घंटी बजायी, तो एक स्त्राr ने दरवाजा खोला. यह स्त्राr काले लिबास वाली उसकी हम-सफर थी.

     ‘मैं आपकी प्रतीक्षा कर रही थी,’ उसने शांत भाव से कहा.

     यह सुनते ही एंडर्सन के चेहरे का रंग उड़ गया. वह दिन भर अपने जज्बातों पर काबू रखे, उसके बारे में सोचता रहा था. जानता था कि वह किसी स्त्राr को अंतिम सीमा तक प्यार कर सकता है, लेकिन तब अनंत खुशियों के साथ अनंत दुख भी जन्म लेंगे, मुस्कराहटों के साथ आंसू भी छलक उठेंगे. प्यार में वह सब कुछ सहना उसके लिए असंभव था. कहीं इस हालत में वह अपनी शानदार परी कथाएं लिखने से वंचित न रह जाये. फिर वह किसकी खातिर जियेगा?

     कुछ भी हो, उसका प्यार लौटाया नहीं जायेगा. यह बात वह अपने अनुभव से जानता था. एलेना गुइसिओली जैसी स्त्रियां पारे जैसे चंचल स्वभाव की होती हैं. एक दिन वह ज़रूर महसूस करेगी कि वह कितना बदसूरत है.

     ‘कवियों ने जिस चिरंतन प्यार का वर्णन किया है, वह सिर्फ हमारी कल्पना की चीज हैं,’ उसने अपने मन में कहा और खुद को तसल्ली देनी चाही- ‘वास्तविक जीवन में प्यार को पाने के बजाय, मैं उसके बारे में ज्यादा अच्छा लिख सकता हूं.’

     वह खड़ा था, एलेना भी उसके सामने खड़ी थी, और चुप थी. आखिर एंडर्सन ने कहा- ‘मैं आपसे मिलने आया हूं.’

     ‘मुझे पता लग गया है कि आप कौन है’ एलेना ने उसकी आंखों में झांकते हुए कहा- ‘आप हान्स क्रिश्चियन एंडर्सन हैं- परी-कथाओं के प्रसिद्ध लेखक. लेकिन ऐसा लगता है कि आप सचमुच में परी-कथा की तरह जीने से डर रहे हैं. कुछ देर के लिए भी प्यार करने की हिम्मत आप में नहीं है.’

     ‘नहीं है,’ एंडर्सन ने धीमे-से कहा.

     ‘तो फिर मेरे भटकने वाले लेखक,’ एलेना ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए उदास लहजे में कहा- ‘आप यहां से भागकर जा सकते हैं. मैं चाहती हूं कि आपकी आंखों में हमेशा हंसी चमकती रहे. मेरे बारे में मत सोचना. लेकिन, अगर कभी कोई कठिनाई हो, तो बस एक शब्द मुझे कहला भेजियेगा, बस मैं आपके पास पहुंच जाऊंगी चाहे मुझे पहाड़ों और रेगिस्तानों से गुजरकर भी क्यों न आना पड़े.’

     वह कुरसी पर ढह-सी पड़ी और दोनों हाथों से अपना चेहरा ढंक लिया. शमादान में मोमबत्तियों का प्रकाश फड़फड़ा रहा था. एंडर्सन ने उसकी उंगलियों के बीच चमकते हुए आंसू देखे. आंसू की बूंदे नीचे टपककर उसके मखमली लिबास पर फिसलती हुई नीचे सरकने लगीं. एंडर्सन जल्दी से आगे बढ़ा, और घुटनों के बल बैठकर उसने एलेना की टांगों के साथ अपना चेहरा टेक दिया. तभी एलेना ने अपने दोनों हाथों से उसका सिर पकड़कर ऊपर उठाया, उस पर झुकी, और उसके ओंठो को चूमा. आंसू का एक बूंद एंडर्सन के चेहरे पर गिरा, और उसने उसका नमकीन स्वाद महसूस किया. ‘ईश्वर’ एलेना ने नरमी से ओंठों में कहा- ‘ईश्वर आपके साथ रहे.’

     वह उठा और अपनी टोपी लेकर जल्दी से बारह निकल गया. उस समय वेरोना की शाम घंटियों की आवाज से गूंज रही थी.

     अपनी मौत के कुछ समय पहले एंडर्सन ने कहा था- ‘मैंने अपनी परी-कथाओं की बहुत बड़ी कीमत चुकायी है, बहुत ही भयानक कीमत. उनकी खातिर मैंने अपनी व्यक्तिगत खुशी छोड़ी है, और जिंदगी को यों ही बीत जाने दिया है, जबकि कल्पना को अपनी सारी शक्ति और शान के बावजूद असलियत का रूप धारण करना चाहिए. ’

(मार्च 1971)

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