मई 2017

कुलपति उवाच 

03    भावना का प्रथम सोपान

      के.एम. मुनशी

अध्यक्षीय

04    हर मिनट में होते हैं साठ सेकेंड

      सुरेंद्रलाल जी. मेहता

पहली सीढ़ी

11    त्राण

      रवींद्रनाथ ठाकुर

आवरण-कथा

12    मानुष की जात

      सम्पादकीय

14    क्या `मानुष जात सबै एक’ यूटोपिया ही रहेगा?

      रामशरण जोशी 

20    अनुत्तरित प्रश्नों से घिरा देश

      विजय किशोर मानव

24    मनुष्यता हर मनुष्य का धर्म है

      रमेश नैयर

28    मानस की जात सबै एकै पहचानबो

      डॉ. जगजीत एस. खरबंदा

31    क्या यह अंत की शुरूआत है?

      होमी दस्तूर

34    सहनशीलता सांविधानिक कर्त्तव्य बने

      सोली जे. सोराबजी

नोबेल कथा

43    तोता कहानी

      रवींद्रनाथ टैगोर

व्यंग्य

37    किसने कहा कि मनुष्य और मनुष्य बराबर होते हैं?

      विष्णु नागर

धारावाहिक उपन्यास भाग – 1

103   मैं जोहिला

      प्रतिभू बनर्जी

शब्द-सम्पदा

136   खेती उपजे अपने कर्म

      विद्यानिवास मिश्र

आलेख 

48    हिंदू बनाम हिंदू

      राममनोहर लोहिया

58    गहरी नींद के सपनों में बनता हुआ देश

      राजेंद्र माथुर

64    गान-सरस्वती की दैवीयता का देवत्व में विलय

      यतींद्र मिश्र

67    सांझ परे घर आयो

      नर्मदा प्रसाद उपाध्याय

71    जीवन ही शिक्षा है

      डॉ. अभय बंग

85    राही मासूम रज़ा के गांव में

      मसर्रत अली नकवी

96    `मां नहीं चाहती थी मैं कवि बनूं’

      येव्गेने येव्तुशेंको

98    इमली के हैं कितने यार…

      मारुति चितमपल्ली

138   किताबें

कथा

77    आवाज़ में गंध

      महेश दर्पण

124   दुखते हुए सुख

      राम जैसवाल

127   एक किरण धूप चाहिए

      सुदर्शन वशिष्ठ

कविताएं

36    मानव तुम सबसे सुंदरतम

      सुमित्रानंदन पंत

41    मैं हिंदुस्तानी मुसलमां हूं

      हुसैन हैदरी

42    `सबार ऊपर मानुष सत्य’

      चण्डीदास

119   पेड़ चुप, पत्तियां चुप हैं

      यश मालवीय

समाचार

140   भवन समाचार

144   संस्कृति समाचार

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