कुलपति उवाच
03 भावना का प्रथम सोपान
के.एम. मुनशी
अध्यक्षीय
04 हर मिनट में होते हैं साठ सेकेंड
सुरेंद्रलाल जी. मेहता
पहली सीढ़ी
11 त्राण
रवींद्रनाथ ठाकुर
आवरण-कथा
12 मानुष की जात
सम्पादकीय
14 क्या `मानुष जात सबै एक’ यूटोपिया ही रहेगा?
रामशरण जोशी
20 अनुत्तरित प्रश्नों से घिरा देश
विजय किशोर मानव
24 मनुष्यता हर मनुष्य का धर्म है
रमेश नैयर
28 मानस की जात सबै एकै पहचानबो
डॉ. जगजीत एस. खरबंदा
31 क्या यह अंत की शुरूआत है?
होमी दस्तूर
34 सहनशीलता सांविधानिक कर्त्तव्य बने
सोली जे. सोराबजी
नोबेल कथा
43 तोता कहानी
रवींद्रनाथ टैगोर
व्यंग्य
37 किसने कहा कि मनुष्य और मनुष्य बराबर होते हैं?
विष्णु नागर
धारावाहिक उपन्यास भाग – 1
103 मैं जोहिला
प्रतिभू बनर्जी
शब्द-सम्पदा
136 खेती उपजे अपने कर्म
विद्यानिवास मिश्र
आलेख
48 हिंदू बनाम हिंदू
राममनोहर लोहिया
58 गहरी नींद के सपनों में बनता हुआ देश
राजेंद्र माथुर
64 गान-सरस्वती की दैवीयता का देवत्व में विलय
यतींद्र मिश्र
67 सांझ परे घर आयो
नर्मदा प्रसाद उपाध्याय
71 जीवन ही शिक्षा है
डॉ. अभय बंग
85 राही मासूम रज़ा के गांव में
मसर्रत अली नकवी
96 `मां नहीं चाहती थी मैं कवि बनूं’
येव्गेने येव्तुशेंको
98 इमली के हैं कितने यार…
मारुति चितमपल्ली
138 किताबें
कथा
77 आवाज़ में गंध
महेश दर्पण
124 दुखते हुए सुख
राम जैसवाल
127 एक किरण धूप चाहिए
सुदर्शन वशिष्ठ
कविताएं
36 मानव तुम सबसे सुंदरतम
सुमित्रानंदन पंत
41 मैं हिंदुस्तानी मुसलमां हूं
हुसैन हैदरी
42 `सबार ऊपर मानुष सत्य’
चण्डीदास
119 पेड़ चुप, पत्तियां चुप हैं
यश मालवीय
समाचार
140 भवन समाचार
144 संस्कृति समाचार