दो अंतिम पत्र

(स्वतंत्रता-सेनानी रामप्रसाद बिस्मिल और उनके साथियों अश़फाक उल्ला खां, राजेंद्र लाहिड़ी, ठाकुर रोशनसिंह को काकोरी कांड के लिए 19 दिसम्बर, 1927 में फांसी दी गयी. फांसी के तख्ते पर चढ़ने से तीन दिन पूर्व रामप्रसाद ने अपने माताजी को और अश़फाक ने देशवासियों के नाम पत्र लिखा.)

(रामप्रसाद का पत्र माता के नाम)

16 दिसम्बर, 1927
फ़ैज़ाबाद जेल

पूज्य माता जी,

सादर चरण वंदना!

इस संसार में मेरी किसी भी भोग-विलास तथा सुख की इच्छा नहीं. केवल एक इच्छा है, वह यह कि एक बार श्रद्धापूर्वक तुम्हारे चरणों की सेवा करके अपने जीवन को सफल बना लेता. किंतु यह इच्छा पूर्ण होती नहीं दिखाई देती, क्योंकि शीघ्र ही मेरी मृत्यु का संवाद सुनाया जाना है.

मां, मुझे विश्वास है कि तुम यह समझकर धैर्य धारण करोगी कि तुम्हारा पुत्र माताओं की माता- ‘भारतमाता’ की सेवा में अपना जीवन समर्पित कर गया है. जब स्वाधीन भारत का इतिहास लिखा जायेगा तो किसी पृष्ठ पर उज्ज्वल अक्षरों में, मां, तुम्हारा नाम अवश्य लिखा होगा.

जन्मदात्री! वर दो कि अंतिम समय में भी मेरा हृदय दृढ़ रहे और तुम्हारे चरणकमलों में प्रणाम अर्पित करता हुआ, शहीद हो जाऊं.

तुम्हारा बेटा,

रामप्रसाद बिस्मिल

(जनवरी 2016)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *