अगस्त 2017

कुलपति उवाच 

03    चेतावनी

      के.एम. मुनशी

अध्यक्षीय

04    शैव सिद्धांत – 2

      सुरेंद्रलाल जी. मेहता

पहली सीढ़ी

11    प्रार्थना

      रवींद्रनाथ टैगोर

आवरण-कथा

12    स्वतंत्रता के बंधन

      सम्पादकीय

14    बिखरते खयालों में उभरती  आज़ादी की एक तस्वीर

      प्रियदर्शन

20    कैसी होती आज़ादी, अगर यह  वैसी नहीं, ऐसी होती

      चंद्रभूषण

25    ताकि आज़ादी अराजकता में न बदले

      विकास मिश्र

29    स्वतंत्रता का बंधन

      ओशो

30    गुलामी के मज़े और आज़ादी का भय

      रघुवीर सहाय

44    अरुण यह मधुमय देश हमारा!

      डॉ. श्रीराम परिहार

व्यंग्य

34    स्वतंत्रता कम पड़ रही है

      विष्णु नागर

38    सरकार के सुकरात और पिकासो

      गोपाल चतुर्वेदी

नोबेल कथा

49    प्यार के बंदी

      कनुत हामसुन

आलेख 

56    आवश्यकता है आंतरिक निशस्त्राrकरण की

      दलाई लामा

60    नोटबुक कृष्णमूर्ति :  एक नायाब दस्तावेज

      रमेशचंद्र शाह

70    धर्म-निरपेक्षता की चुनौती

      हमीद दलवई

82    एक संकरे पुल पर बढ़ती भीड़

      `हिंदी मीडियम’ की त्रासदी

      कृष्ण कुमार

86    क्या लोकतंत्र में नैतिक मूल्यों का स्खलन अनिवार्य है?

      विनोद बिहारी लाल

94    क्षीण-कटि `वीपिंग विलो’

      मारुति चितमपल्ली

97    त्रासदी पूरी सभ्यता पर संकट की

      मधु कांकरिया

131   आठ दशक की काव्य-साधना  का सहज अवसान

      रमेश जोशी

134   `हम हाथ फैलाकर नहीं खा सकते’

      डॉ. विमला मल्होत्रा

138   किताबें

कथा

75    वारिस

      अमरजीत कौर

110   वापसी

      सुभाष दीपक

कविताएं

42    कितना बदल गया है देश

      सुधा अरोड़ा

113   क्षमा करना देव

      नीरज मनजीत

समाचार

140   भवन समाचार

144   संस्कृति समाचार

धारावाहिक उपन्यास (भाग- 4)

114   मैं जोहिला

      प्रतिभू बनर्जी

शब्द-सम्पदा

136   करघा

      विद्यानिवास मिश्र

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