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महाकुम्भ में छलका अमृत!

यश मालवीय  महाकुम्भ की बेला है. गंगा यमुना के संगम में लुप्त सरस्वती उजागर हो रही है. अमृत कुम्भ छलक-छलक जाता है. प्रयाग भीग रहा है आध्यात्मिक हवाओं में. आंखों में पृष्ठ दर पृष्ठ खुलते चले जा रहे हैं. पचास…