शब्द-यात्रा चतुरन की बात में, बात-बात में बात आनंद गहलोत पहली सीढ़ी तू ही तो मही मां ! हरीश भादानी आवरण-कथा साहित्य का दायित्व विडम्बनाओं, विसंगतियों की आहटों को महसूसना ज़रूरी है चित्रा मुद्गल सतत सजगता का एक नाम है…
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जनवरी 2010
महाकवि जयशंकर प्रसाद की कविता थी- ‘छोटे-से जीवन की कैसे बड़ी कथाएं आज कहूं/ क्या यह अच्छा नहीं कि औरों की सुनता मैं मौन रहूं’. यूं तो लेखक की हर रचना में कहीं न कहीं अपनी बात होती ही है…
दिसम्बर 2012
क्षमा करने का अर्थ है हम कथित अपराध करने वाले को न केवल कोई सज़ा नहीं देना चाहते हैं, बल्कि उसे सुधरने का एक मौका भी देना चाहते हैं. पर क्षमा का अर्थ एवं महत्त्व यहीं तक सीमित नहीं है.…
जून 2012
कहते हैं कि ‘गंगा’ शब्द का एक अर्थ ‘नदी’ भी होता है. मतलब यह कि सारी नदियां गंगा हैं – जीवनदायनी हैं, जीवन-रक्षक हैं. जब हम गंगा को बचाने की बात करते हैं तो वस्तुतः हम सब नदियों को बचाकर…