Tag: हरिशंकर परसाई

आंगन में बैंगन

♦  हरिशंकर परसाई   >  मेरे दोस्त के आंगन में इस साल बैंगन फल आये हैं. पिछले कई सालों से सपाट पड़े आंगन में जब बैंगन का फल उठा तो ऐसी खुशी हुई जैसे बांझ को ढलती उम्र में बच्चा हो…

मार्च 2008

शब्द-यात्रा घड़ी-घड़ी मेरा दिल धड़के आनंद गहलोत पहली सीढ़ी  मर-मर क्या जीना हरीश भादानी आवरण-कथा व्यंग्य के साथ भी हंसी आती है, पर वह ऐसी नहीं होती हरिशंकर परसाई मगर इंसान हंसता क्यों है? कृश्न चंदर मेरा व्यंग्य सवालों के जवाब…

मार्च 2014

  जब हम कोई व्यंग्य पढ़ते हैं या सुनते हैं तो अनायास चेहरे पर मुस्कान आ जाती है. हो सकता है इसीलिए व्यंग्य को हास्य से जोड़ दिया गया हो, और इसीलिए यह मान लिया गया हो कि व्यंग्य हास्य…