Tag: वैसा कुछ हम भी कर लेते. पर भाषा सिर्फ यही काम तो नहीं करती. भाषा हमें पहचान भी देती है. सच तो यह है कि पाषाण-युग से आज तक की मनुष्य की यात्रा को सम्भव बनाने में भाषा की अनूठी भूमिका रही है. भाषा ने हम

जुलाई 2014

विश्व-युद्ध के शताब्दी वर्ष में युद्ध के बारे में चिंतन का अभिप्राय मनुष्य के भीतर की उस पशुता को पराजित करने के बारे में जागरूक होने का प्रयास करना है, जो युद्धों का कारण बनती है. दुनिया दो विश्व-युद्ध झेल…