Tag: लड़ाई तो पितृसत्तात्मक संरचना से है

लड़ाई तो पितृसत्तात्मक संरचना से है

♦  सुधा अरोड़ा   > पिछले पचास सालों में हमारी जीवन शैली, तौर-तरीकों, मनोरंजन के साधनों, बोली-बानी और हमारे समाज में लक्ष्य करने लायक तब्दीली देखी जा सकती है. बहुत नहीं, सिर्फ पचास साल पहले की हम बात करें तो औरतें…

मार्च 2014

  जब हम कोई व्यंग्य पढ़ते हैं या सुनते हैं तो अनायास चेहरे पर मुस्कान आ जाती है. हो सकता है इसीलिए व्यंग्य को हास्य से जोड़ दिया गया हो, और इसीलिए यह मान लिया गया हो कि व्यंग्य हास्य…