Tag: लक्ष्मेंद्र चोपड़ा

स्वागत एक परम श्रद्धेय आदरणीय का

♦  लक्ष्मेंद्र चोपड़ा    > परम श्रद्धेय आदरणीय भाई साहब तथा मेरी जात-बिरादरी के लोगों (अगली पंक्ति से कोटों की फरफराहट) मैं भाई साब के साथ तब से हूं जब ये हमारे कस्बे के टपरा महाविद्यालय के मालिक थे और मैं…

मार्च 2014

  जब हम कोई व्यंग्य पढ़ते हैं या सुनते हैं तो अनायास चेहरे पर मुस्कान आ जाती है. हो सकता है इसीलिए व्यंग्य को हास्य से जोड़ दिया गया हो, और इसीलिए यह मान लिया गया हो कि व्यंग्य हास्य…