Tag: रमेशचंद्र शाह

जनवरी 2011

इस बार हम आपके लिए हिंदी की उन कथाओं का गुलदस्ता लेकर उपस्थित हैं, जिन्होंने स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद के काल में हमारे कथा-साहित्य के बगीचे को महकाया है. ‘नवनीत’ का यह विशेषांक ऐसी ग्यारह कहानियों का संकलन है, जिन्होंने हमारे…

अगस्त 2012

आज़ादी की लड़ाई के दौरान भारतमाता की जय का नारा लगाने वाले युवाओं से जवाहरलाल नेहरू ने एक बार पूछा था, यह भारतमाता है क्या? फिर स्वयं ही इसका उत्तर भी दिया था उन्होंने- इस देश की करोड़ों-करोड़ें जनता ही…

अप्रैल 2012

  कुलपति उवाच सच्चा विजेता कनैयालाल माणिकलाल मुनशी शब्द-यात्रा मंदिर का घर आनंद गहलोत पहली सीढ़ी आरम्भ खलील जिब्रान आवरण-कथा सम्पादकीय प्रपंच में रमते राम दुर्गादत्त पाण्डेय रामत्व पाये बिना राम नहीं मिलते कैलाशचंद्र पंत कुछ ऐसे पढ़ें राम-कथा सच्चिदानंद…

जनवरी 2012

स्वर्गीय श्रीगोपाल नेवटिया ने जनवरी 1952 में हिंदी का यह डाइजेस्ट देश को समर्पित किया था. उन्होंने पत्रिका के पहले सम्पादकीय में लिखा था- “नवनीत ज्ञान-विज्ञान और उनके सत्साहित्य की चुनी हुई जलधाराओं के अंशों को अपने घट में भरेगा……

मई 2014

‘भारत मेरा देश है, इस देश में रहने वाले सब मेरे भाई-बहन हैं…‘ यह शब्द उस ‘प्रतिज्ञा’ का अंश हैं जो महाराष्ट्र के स्कूलों में पढ़ाई जाने वाली पाठ्य-पुस्तकों में छापी जाती है और विद्यार्थी रोज़ इसका सामूहिक वाचन भी…