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मेरे साहित्य की आदि-प्रेरणा

♦  गोपाल प्रसाद व्यास   > संसार के अन्य शुभ कार्यों में चाहे प्रेरणा की ज़रूरत न महसूस होती हो, मगर यह जो कविता लिखने का महाकार्य है उसमें तो प्रेरणा का दौरा पड़ना वैसे ही आवश्यक है, जैसे मलेरिया-बुखार के…

मार्च 2014

  जब हम कोई व्यंग्य पढ़ते हैं या सुनते हैं तो अनायास चेहरे पर मुस्कान आ जाती है. हो सकता है इसीलिए व्यंग्य को हास्य से जोड़ दिया गया हो, और इसीलिए यह मान लिया गया हो कि व्यंग्य हास्य…