Tag: मन तथागत रही कैलाश गौतम ठंड की कविताएं अशोक विश्वकर्मा फ़रवरी मन हो गया यश मालवीय अबकी शाखों पर बसंत तुम जयकृष्ण राय तुषार

फरवरी 2013

गंगा, यमुना तथा सरस्वती का संगम मात्र तीन नदियों का संगम नहीं है, यह आस्था श्रद्धा और आदर्शों-मूल्यों का भी संगम है. महाकुम्भ इस संगम को आकार भी देता है और सार्थकता भी. पता नहीं वह कैसा विश्वास है जो…