बचपन गाथा ♦ भीष्म साहनी > छठी कक्षा में पढ़ते समय मेरे तरह-तरह के सहपाठी थे. एक हरबंस नाम का लड़का था, जिसके सब काम अनूठे हुआ करते थे. उसे जब सवाल समझ में नहीं आता तो स्याही की दवात…
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जनवरी 2011
इस बार हम आपके लिए हिंदी की उन कथाओं का गुलदस्ता लेकर उपस्थित हैं, जिन्होंने स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद के काल में हमारे कथा-साहित्य के बगीचे को महकाया है. ‘नवनीत’ का यह विशेषांक ऐसी ग्यारह कहानियों का संकलन है, जिन्होंने हमारे…
जनवरी 2010
महाकवि जयशंकर प्रसाद की कविता थी- ‘छोटे-से जीवन की कैसे बड़ी कथाएं आज कहूं/ क्या यह अच्छा नहीं कि औरों की सुनता मैं मौन रहूं’. यूं तो लेखक की हर रचना में कहीं न कहीं अपनी बात होती ही है…
जनवरी 2014
रंग चाहे तितली के हों या फूलों के, जीवन में विश्वास के रंग को ही गाढ़ा करते हैं. पर कितना फीका हो गया है हमारे विश्वास का रंग? पता नहीं कहां से घुल गया है यह मौसम हवा में कि…
फरवरी 2012
शब्द-यात्रा पुण्य क्षीण हो गया ‘अभियुक्त’ का आनंद गहलोत पहली सीढ़ी मोमबत्ती सी. रवींद्रनाथ आवरण-कथा सम्पादकीय हम स्वयं अपने साहित्य की चुनौती हैं ! रमेश दवे संकट एक अनकही भीतरी निष्ठा से कटने का है मृणाल पांडे ऐसे में…