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ज़िद मैंने पिता से सीखी थी

बड़ों का बचपन ♦  नेल्सन मण्डेला  >    मेरे जन्म के समय पिता ने एक ही चीज़ दी थी मुझे-मेरा नाम. रोलिहलहला. वैसे तो इसका मतलब होता है- ‘पेड़ की शाखा को खींचना’ पर समाज में इसकाप्रचलित अर्थ है गड़बड़ी…

कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन… क्यों?

♦  यज्ञ शर्मा >    बचपन कई तरह का होता है. एक बचपन वह होता है जिसमें बच्चे खेलते-कूदते हैं. हंसते हैं, खिलखिलाते हैं, मचलते हैं, रूठते हैं. दूसरा बचपन वह होता है जो बुढ़ापा खराब होने पर याद आता है. जो…

सरहदों को लांघतीं बाल कहानियां

♦   भुवेंद्र त्यागी  >    एक राजा था, एक रानी थी, उनके चार राजकुमार थे… सुंदरवन में भोलू भालू, नटखट बंदर, चालाक लोमड़ी और बघेरा बाघ रहते थे… एक बार गर्मी की दोपहर एक कौवे को ज़ोर से प्यास…

जी ! मैं बचपन बोलता हूं…

♦  रमेश थानवी   >   जी… हलो, हलो… जी मैं बचपन बोलता हूं. आपके घर से ही बोल रहा हूं. उन तमाम लोगों से बोलता हूं जो 25 के पार हो गये हैं, 55 के पार हो गये हैं या 75…

निर्भयता का पाठ

♦  डॉ. प्रभाकर माचवे            बचपन की सबसे ‘तीव्र याद’ पानी में डूबने की और मां द्वारा बचाये जाने की है. शायद पांच बरस का था मैं. तब हम रतलाम में रहते थे, जहां त्रिवेणी नाम का…