Tag: बंद दरवाज़ों पर दस्तक देती टेक्नोकल्चर की गुड़िया कुमुद शर्मा प्रश्न-युग का एक प्रश्न रमेश दवे दामिनी ! तुममें पूरे इतिहास को ज़िंदा होना है ! सुधा अरोड़ा अंतःपुर की कैद से बाहर आशापूर्णा देवी ‘शायद व

मार्च 2013

‘यत्र नार्यस्तु पूज्यंते….’ का जाप करने वाला हमारा समाज वस्तुतः नारी को एक भोग्या अथवा वस्तु के रूप में ही देखता है. आज जीवन में हर क्षेत्र में नारियां उपलब्धियों के शिखर छू रही हैं, लगातार स्वयं को प्रमाणित कर…