⇐ फिराक गोरखपुरी ⇒ बालपन से ही मैं कुछ ऐसा अनुभव करता था कि शारीरिक या ऐन्द्रिक साधनों और माध्यमों से जो कुछ मैं अनुभव करता हूं, उसके अनुसार हर वस्तु, हर घटना, भौतिक संसार की हर…
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