।।आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतः।। ♦ पाल इल्यार (फ्रांसीसी कवि) > और कुछ नहीं होगा न भुनभुनाता हुआ कीड़ा, न कांपती हुई पत्ती न कोई गुर्राता हुआ पशु, बदन चाटता हुआ पशु न कुछ गर्म, न कुछ…
।।आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतः।। ♦ पाल इल्यार (फ्रांसीसी कवि) > और कुछ नहीं होगा न भुनभुनाता हुआ कीड़ा, न कांपती हुई पत्ती न कोई गुर्राता हुआ पशु, बदन चाटता हुआ पशु न कुछ गर्म, न कुछ…