Tag: पाल इल्यार

जीवन का अधिकार, कर्तव्य

।।आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतः।। ♦   पाल इल्यार (फ्रांसीसी कवि)   >   और कुछ नहीं होगा न भुनभुनाता हुआ कीड़ा, न कांपती हुई पत्ती न कोई गुर्राता हुआ पशु, बदन चाटता हुआ पशु न कुछ गर्म, न कुछ…

मार्च 2014

  जब हम कोई व्यंग्य पढ़ते हैं या सुनते हैं तो अनायास चेहरे पर मुस्कान आ जाती है. हो सकता है इसीलिए व्यंग्य को हास्य से जोड़ दिया गया हो, और इसीलिए यह मान लिया गया हो कि व्यंग्य हास्य…