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निर्भयता का पाठ

♦  डॉ. प्रभाकर माचवे            बचपन की सबसे ‘तीव्र याद’ पानी में डूबने की और मां द्वारा बचाये जाने की है. शायद पांच बरस का था मैं. तब हम रतलाम में रहते थे, जहां त्रिवेणी नाम का…