Tag: गा ज़िंदगी गा नंद चतुर्वेदी आवरण-कथा सम्पादकीय जीवन और साहित्य में रस का स्थान आनंद प्रकाश दीक्षित अमृत का सहोदर ‘रस’ मिल गया… कुबेरनाथ राय जिहि घट प्रेम न संचरै… विजय बहादुर सिंह होना घनीभूत हास्

जनवरी 2013

 भरत मुनि के रस-सिद्धांत अथवा मम्मट द्वारा की गयी रसों की व्यवस्था-व्याख्या को हम जीवन के लिए बोझिल मानकर भले ही नकार दें, पर रस को जीवन से निष्कासित करके जीवन को पूरी तरह समझा नहीं जा सकता. रस और…