Tag: गज़ल

बचपन रखो जेब में

♦ विश्वनाथ सचदेव   >    टी.वी. हमेशा की तरह चल रहा था. मैं देख भी रहा था, नहीं भी देख रहा था. सुन भी रहा था, नहीं भी सुन रहा था. अचानक एक वाक्यांश कानों से टकराया. लगा जैसे वह कानों…

जून 2008

शब्द-यात्रा क्या खीर पक रही है ? आनंद गहलोत पहली सीढ़ी  अमिय-रस आवरण-कथा पानी बिच मीन पियासी नंद चतुर्वेदी ऐसे चलता था समाज का खेल अनुपम मिश्र देश की जल-कुंडली पानी बचाय के ना रखब्या, तब ना हम लेबै सराध में…

सितम्बर 2014

वर्ष : 62  अंक : 09  सितम्बर 2014   कुलपति उवाच व्यक्तित्व का विकास के.एम. मुनशी  शब्द यात्रा ना यानी नहीं आनंद गहलोत  पहली सीढ़ी और एक मुस्कान पॉल एलुआर  आवरण-कथा सम्पादकीय सवाल भाषाई आत्मसम्मान का रघु ठाकुर हिंदी में…