शब्द-यात्रा घड़ी-घड़ी मेरा दिल धड़के आनंद गहलोत पहली सीढ़ी मर-मर क्या जीना हरीश भादानी आवरण-कथा व्यंग्य के साथ भी हंसी आती है, पर वह ऐसी नहीं होती हरिशंकर परसाई मगर इंसान हंसता क्यों है? कृश्न चंदर मेरा व्यंग्य सवालों के जवाब…
Tag: कैलाश गौतम
मई 2012
निस्संदेह विकास के ढेर सारे टापू विकसित किये हैं हमने, लेकिन हमारे गांव कुल मिलाकर अभी इस विकास की परिधि पर ही हैं. दुर्भाग्य तो यह भी है कि हमारी ग्राम-सभ्यता और ग्राम-संस्कृति भी इस दौरान लगातार क्षरित हुई है,…